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1. पीपासर

यह गुरू जाम्भोजी का अवतार स्थल हैं । यह मुकाम से लगभग 10-20 कि.मी. दक्षिण में और नागौर से 30 कि.मी. उतर में है। गांव में जिस कुएं के पास जाम्भोजी ने सबदवाणी का प्रथम सबद कहा था वह गांव में हैं और अब बंद पड़ा हैं। इसी कुए पर राव दुदा जी ने जाम्भोजी  को चमत्कारिक ढ़ंग से पशुओ को पानी पिलाते हुए देखा था। वर्तमान साथरी जाम्भोजी के घर की सीमा में हैं। यहीं पर एक छोटी सी…

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शब्द 1 ओ3म् गुरु चीन्हों गुरु चीन्ह पुरोहित, गुरु मुख धर्म बखाणी

सात वर्ष की आयु में खेमनराय पुरोहित के प्रति यह प्रथम शब्दोच्चारण गुरू जम्भेश्वर जी ने किया सबद 1- ओ3म् गुरु चीन्हों गुरु चीन्ह पुरोहित, गुरु मुख धर्म बखाणी। भावार्थ- ओउम् यह परम पिता परमात्मा सर्वेश्वर अनादि निराकार भगवान विष्णु का ही परम प्रिय नाम है। नाम से ही नामी का ज्ञान होता है। सर्वप्रथम सृष्टि के आदि काल में तो वह परम सत्ता ओ3म् नाम से ही जानी जाती थी परन्तु आगे समयानुसार ही सत्ता शिव, राम, विष्णु आदि…

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गुरु महाराज की शब्द वाणी से दूर होते समाज के नए चेहरे

समाज के कुछ बुद्धिजीवी वेबिनार और कही डिजिटल तरीको से शब्दवाणी का ज्ञान बच्चो को देने की कोशिश में लगे हुए हैं। पर आज कल इंग्लिश मीडियम का प्रचलन जो हो चुका हैं इसकी वजह से बहुत सारे बच्चे हिंदी में भी सहज महसूस नहीं कर रहे या हिंदी उनका फेविरेट सब्जेक्ट नहीं रहा है ऐसे में हर माता पिता से अनुरोध हैं कि अपने बच्चो को शब्दवाणी से दोबारा जोड़ने के लिए शब्दवाणी की इंग्लिश में व्याख्या ही बच्चों…

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बिशनोई पंथ स्थापना दिवस पर विशेष

🙏🏻🙏🏻 निवण प्रणाम जी कार्तिक वदी अष्टमी के दिन सवत् 1542 विसनोई पंथ स्थापना दिवस कार्तिक वदी हरि कलश थापियो अन्न दे जीव उबारिया 1540 से 1542 तक लगातार भयंकर अकाल था उस समय गुरु जांभोजी ने अकाल ग्रस्त लोगों की अनेकों प्रकार अन्न- धन से सहायता की थी वह मानव का कल्याणार्थ अनेकों कार्य किए आज से ठीक *535 वर्ष* पूर्व गुरु महाराज जांभोजी ने *संभराथल* के पावन धोरे पर *कलश स्थापना* कर *बिश्नोई पंथ* का प्रवर्तन किया था…

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पानी का टैंकर चलाने वाले का बेटा नरेन्द्र बनेगा डॉक्टर, नीट में ऑल इंडिया 28 वीं रैंक

नवज्योति/ लृणी |(Copyright Reserved, Just pasted for better reach) कोन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो… की कहावत को लूणी कस्बे के निकटवर्ती विष्णुनगर निवासी नरेंद्र विश्नोई न चरितार्थ कर दिखाया । नरेन्द्र विश्नोई ने नीट 2020 के जारी परीक्षा परिणाम में 720 अंकों में से 705 अंक प्राप्त कर अखिल भारतीय स्तर पर 28 वां स्थान प्राप्त किया। वहीं राजस्थान में तीसरा स्थान प्राप्त कर अपने गांव व लूणी का…

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सुमित्रा_बिश्नोई

#सुमित्रा_बिश्नोई पत्नी स्व. विजय बिश्नोई ( पुत्री कृष्ण लाल बिश्नोई) निवासी सरदारपूरा बीका हाल सूरतगढ ,श्री गंगानगर का #गुरु_महाराज की कृपा से चयन #वरिष्ठ_अध्यापक #हिन्दी मे हुआ है इन्होने 04-09-2020 को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोलू पाबूजी जोधपुर मे कार्यग्रहण किया है। इनका प्राध्यापक भर्ती परीक्षा ( 1st grade) की प्रोविजनल लिस्ट मे भी चयन होने पर सभी की तरफ से #हार्दिक_बधाई एवं #शुभकामनाएं💐💐💐 श्री कृष्ण लाल बिश्नोई निवासी सूरतगढ के 1 पुत्र और 2 पुत्रियाँ है इनका पुत्र बिजली…

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डॉ.अलका बिश्नोई

डॉ.अलका बिश्नोई पुत्री कैलाश जी बिश्नोई (मुकाम) अधीक्षंण अभियंता जेवीवीएनएल की (NEET-SS 2020) नीट सुपर स्पेसलिटी में ऑल इंडिया में 69 रैंक आने पर बिशनोई धर्म प्रकाश एप परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।

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शब्द 2 :: ओउम मोरे छायान माया लोह न मांसु

: शब्द २ :: ओउम मोरे छायान माया लोह न मांसु । रक्तुं न धातुं । मोरे माई न बापुं । रोही न रांपु । को न कलापुं । दुख; न सरापुं । लोंई अलोई । तयुंह त्रुलाइ । ऐसा न कोई । जपां भी सोई। जिहीं जपे आवागवण न होई । मोरी आद न जाणत । महियल धुं वा बखाणत । उरखडा- कले तॄसुलुं । आद अनाद तो हम रचीलो, हमे सिरजीलो सैकोण । म्हे जोगी कै भोगी कै…

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शब्द – 3 ओ3म् मोरें अंग न अलसी तेल न मलियों, ना परमल पिसायों

ओ3म् मोरें अंग न अलसी तेल न मलियों, ना परमल पिसायों। हे वीदा! मेरे इस शरीर पर किसी भी प्रकार का अलसी आदि का सुगन्धित तेल या अन्य पदार्थ का लेपन नहीं किया गया है क्योंकि मैं यहां सम्भराथल पर बैठा हुआ हूं। यहां ये सुगन्धित द्रव्य उपलब्ध भी नहीं है और न ही इनकी मुझे आवश्यकता ही है। जीमत पीवत भोगत विलसत दीसां नाही, म्हापण को आधारूं।  पृथ्वी का गुण गन्ध है जो भी पार्थिव पदार्थों का शरीर रक्षा…

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शब्द – 4 :ओ3म् जद पवन न होता पाणी न होता, न होता धर गैणारूं।

धरण कान्हावत बूझियो, जम्भगुरु से भेव। आपरी उमर थोड़ी दीसै, किता दिना रा देव। जो बूझयों सोई कह्यो , अलख लखायोंोो भेव। धोखा सभी गमाय के, शब्द कह्यो जम्भदेव। कान्हाजी के पुत्र उधरण ने फिर पूछा- हे देव! आपने बातें तो बहुत ही अच्छी बतलायी ऐसा मालूम पड़ता है कि आपने बहुत वर्षों तक विद्याध्ययन किया है किंतु आपकी आयु तो बहुत ही थोड़ी दिखाई देती है, आप कितने वर्षों के हैं। तब गुरु जांभो जी ने जैसा पूछा था…

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शब्द – 5 : ओउम अइयालो अपरंपर बाणी,महे जपां न जाया जीयूं।

उधरण कान्हावत यूं कहै, जाम्भाजी सूं बात। जाप कुणा रो थे जपो, हमें बताओं तात। अर्थात:कान्हाजी के पुत्र उधरण ने इससे पूर्व शब्द द्वारा आयु का ज्ञान प्राप्त कर के फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि हे देव ! आप जप किस का करते हैं, हमें भी बतलायें कि हम किस देवता का जप-नाम स्मरण उपासना करें। गुरू जाम्भोजी ने शब्दोच्चारण इस प्रकार से किया – :: शब्द – 5 :: √ ओउम अइयालो अपरंपर बाणी,महे जपां न जाया जीयूं।| हे…

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शब्द -6 : ओउम भवन भवन म्हें एका जोती, चुन चुन लिया रतना मोती

उधरण कान्हावत यूं कहै, दोय कहै छै देव। भिन्न भिन्न समझाइयों, हमें बतावों भेव। उधरण राजपुत्र ने इससे पूर्व तीन शब्दों को ध्यान पूर्वक श्रवण किया तब यह जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि जीव और ब्रह्या एक ही हैं या दो भिन्न-भिन्न है। इस शंका के समाधानार्थ उधरण ने प्रार्थना की। गुरु महाराज ने उत्तर दिया- :: शब्द -6 :: √ ओउम भवन भवन म्हें एका जोती, चुन चुन लिया रतना मोती। भावार्थ- सम्पूर्ण चराचर सृष्टि के कण-कण में परम तत्व…

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