शब्द – 9 :: ओ३म् दिल साबत हज काबो नेड़ै, क्या उलबंग पुकारो
ओ३म् दिल साबत हज काबो नेड़ै, क्या उलबंग पुकारो। भावार्थ- यदि तुम्हारे दिल शुद्ध सात्विक विकार रहित है तो तुम्हारे काबे का हजा नजदीक ही है अर्थात् हृदय ही तुम्हारा काबै का हज है तो फिर क्यों मकानों की दिवारों पर चढ़कर ऊंची आवाज से उस अल्ला की पुकार करते हो, , यह तुम्हारी बेहूदी उलबंग तुम्हारा अल्ला नहीं सुन सकेगा क्योंकि वह अल्ला तो तुम्हारे दिल में ही है। भाई नाऊ बलद पियारो, ताकै गलै करद क्यूं सारों। अपने…