

Protectors of nature, guardians of life.
Protectors of nature, guardians of life.
डा. कृष्ण कुमार जौहर दयानंद पी.जी. कॉलेज, हिसार पांच दशक तक राष्ट्रीय राजनीति में छाये रहे चौधरी भजनलालजी की राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न सोपानों से होकर गुजरी है। स्वतंत्र भारत में शायद ही ऐसा कोई राजनेता हो जिसने लोकतंत्र की छोटी से छोटी इकाई से अपनी यात्रा आरंभ की हो और बड़ी से बड़ी इकाई को भी छुआ हो। चौधरी भजनलाल जी एकमात्र ऐसे राजनेता थे जिन्होंने लोकतंत्र में इतने पर्दोको सुशोभितकिया था। चौधरी भजनलाल जी की राजनैतिक…
चौधरी भजनलाल जी एक बहुत ही आस्थावान व विनम्र स्वभाव के महापुरुष थे। दूसरों के प्रति प्रेम, सम्मान व दया उनके हृदय में भरी हुई थी। बुजुर्गों और साधु संतों के प्रति तो उनके हृदय में अत्यन्त आदरभाव था। व्यापार के सम्बन्ध में चौधरी साहब पचास के दशक में लुधियाना अक्सर आते-जाते थे। उनका लुधियाना आना-जाना अधिकतर रेलगाड़ी से होता था। एक बार वे रेलगाड़ी द्वारा लुधियाना से सिरसा आ रहे थे। गाड़ी में अत्यन्त भीड़ थी। उसी गाड़ी में…
ताराचंद खिचड़ वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अ.भा. बिश्नोई महासभा, मुकाम चला लक्ष्मीश्च चलाः प्राणाश्चलं जीवितयौवनम्॥ चलाचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः॥ यह संसार परिवर्तनशील व चलायमान है। लक्ष्मी, जीवन व युवावस्था सब कुछ अस्थिर है। इस जगत में चलाचली लगी रहती है। केवल धर्म ही एक ऐसा कर्म है जो निश्चल रहता है और इसके बल पर व्यक्ति अपने जीवन को सफल करने के साथ-साथ लोक कल्याण भी करता है। बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी इस तथ्य को बखूबी समझते थे…
वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी फतेहाबाद में चुनावी प्रचार के लिए आई थी, तब उनका व्रत था। तब इंदिरा ने कहा था कि वे कुछ नहीं खाएंगी क्योंकि उनका व्रत है। इस पर भजनलाल बोले मैडम दूध और दूध से बनी दही व्रत में खा सकते हैं। इस पर इंदिरा दही खाने लगी तो सुरक्षा कर्मियों ने दही खाने से रोक दिया, इस पर इंदिरा ने कहा कि भजनलाल अगर जहर भी देगा तो भी मैं खा…
मनोज यादव गांव धमाना, हिसार जीवन का सबसे बड़ा सच मौत है, लेकिन इस सच पर भी सहसा विश्वास नहीं होता कि चौधरी भजनलाल आज हमारे बीच नहीं है। विश्वास नहीं होता कि ऐसे शालीन एवं शांत व्यक्ति के प्रति भी नियति इतनी निर्दयी हो सकती है। उनकी वह सौम्य मुस्कान जन-जन के मन में चिरस्थायी रहेगी। उनका आशावादी मधुर स्वर हमारे मनों में हमेशा गूंजता रहेगा। राजनीति में दोस्ती व दुश्मनी स्थायी नहीं होती, लेकिन अपने विरोधी को भी…
चौधरी भजनलाल की गिनती हमेशा से ही दबंग नेताओं में रही है। उन्होंने अपनी दबंगई कमजोरों व लाचारों पर नहीं बल्कि अत्याचारियों से निपटने के लिए चलाई। आज भी प्रदेश की 36 बिरादरी की लीडरशिप में सबसे दमदार नेता के तौर पर पहचान चौधरी भजनलाल से ही की जाती है। चौधरी भजनलाल की प्रदेश के हर कोने में गहरी पैठ रही है जिसकी बदौलत प्रदेश की यू.पी. सीमा से सटे फरीदाबाद, मध्यक्षेत्र करनाल और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र हिसार से वे खुद…
डा. माया बिश्नोई ,डा. मदन खीचड़ 10-ए/11, न्यूकैंपस कृषि मौसम वैज्ञानिक एच.ए.यू.,हिसार ह.कृ.वि.,हिसार, धरती पर ऐसे कुछ विरले ही महापुरुष जन्म लेते हैं जो आम आदमी की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, उन्हीं में से एक थे चौधरी भजनलाल। विलक्षण प्रतिभा तथा समाजहित के गुणों के धनी चौधरी भजनलाल का जन्म एक सामान्य कृषक परिवार में 6 अक्तूबर, 1930 को बहावलपुर रियासत के कोड़ांवाली गांव में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। भारत-पाक विभाजन पर भारत सरकार…
दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने महात्मा गांधी के निधन पर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां शायद ही यह विश्वास करे कि इस धरा पर हाड़ मांस का कोई व्यक्ति हुआ होगा जिसने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को अंग्रेजों के कुशासन से मुक्ति दिलवाई और हर भारतीय ने आजादी की सांस ली थी। उस वक्त आईस्टाइन तो क्या कोई भी नहीं जानता था कि परमपिता परमात्मा ने बापू के आदशों और गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाओं…
वन संरक्षण अधिनियम Forest conservation Act-1980 का व्यापक संशोधन करते हुए वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कड़े से कड़े नियम लागू करवाए। जिसमें किसी भी विकास परियोजना के क्रियान्वयन से पूर्व पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति आवश्यक कर दी गई। अगर किसी कारणवश पेड़ों को काटना जरूरी समझा गया तो मंत्रालय को मुआवजा राशि के साथ-साथ उतनी ही जमीन पर बदले में और पेड़ लगाना सुनिश्चित किया गया। जब सन् 1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गंगा…
एक समय हरियाणा की सियासत तीन लालों देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल के इर्द-गिर्द घूमती थी। वैसे तो सभी लालों की अपनी खासियत थी। लेकिन भजनलाल के व्यक्तित्व का एक पहलू ऐसा था जो दूसरे लालों से उन्हें जुदा करता था। राजनीति की चौसर में भी अपने पर हावी होने वाले विरोधियों को अकस्मात मात दे देना उनकी खूबी थी। हरियाणा की सियासत के प्रारम्भिक सफर में उनके साथी रहे चौधरी देवीलाल, मगर राजनीतिक मतभेदों के चलते वे देवीलाल से अलग हो…
। डा. महेन्द्र सिंह # अध्यक्ष, इतिहास विभाग, दयानंद महाविद्यालय, हिसार आज हरियाणा का नाम जैसे ही किसी के मन में या जुबान पर आता है तो सहसा एक प्रगतिशील, उन्नत व आधुनिक प्रदेश का चित्र मानस पटल पर बनता है। यह क्षेत्र पहले अंग्रेजी शासन व्यवस्था के दमन का शिकार बना तथा स्वतंत्रता के पश्चात् राजनैतिक भेदभाव का। दमन व भेदभाव के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के लिए अलग राज्य की मांग उठी जिसे पहले नकारा जाता रहा तथा बाद…