

शब्दवाणी
नाते भूला मूल न खोजो ; सीँचो कांय कमूलू ‘ ? विसन विसन भंणि अजर जरीलौ ; औ जीवंण का मूलू ‘ । शब्दार्थ : – हे लोगो ! तुम तो पेड के पतोँ मेँ ही भूले हुए हो , ( उसके ) मूल की खोज नहीँ करते । ( बाह्रा और निस्सार दिखावे मेँ ही भूले-भटक रहे हो , सार वस्तु की ओर तुम्हारा ध्यान ही नहीँ जाता ) । फिर यदि मूल-सिचन की ओर ध्यान भी जाए ,…