

जाम्भाणी संत सूक्ति
“मरते पावै पीव कूं, जीवंत वंचै काल। नीरभै हरि नाम ले, दोनों हाथ दयाल। -(परमानन्दजी वणियाल) -भावार्थ-‘ भगवान का नाम जीव के लोक और परलोक दोनों संवारता है, जीवित रहते संकटों से रक्षा करता है और मरने के बाद भगवान से मिलाता है।’ (जम्भदास)