=jambhoji

जै जै जम्भ गुरु जगदीसा

जै जै जम्भ गुरु जगदीसा ,दूर ते दूर निकट तै नैड़ा , परम पर परमेसा ।। टेक ।।काम क्रोध मद लोभ मोह , तज निद्रा तिसनां रीसा ।ओर गुरू अठारा उनीसा , सतगुरू विस्वा बीसा ।।जम्भ गुरू को छिनभर सिंवरै , आन देव कोट बरीसा ।आन देव सुख दुख के दायक , हरि सिमरया अघ खीसा ।।जम्भगुरू को ध्यान धरत है , सिव सिनकादिक अहिसा ।म्रतलोक मां चरण पुजावै , सतलोक हरि सीसा ।।जो विशनोई गुरूमुखि होई , गहै धरम…

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