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शब्द नं 63

आतर पातर राही रुखमणि एक समय की बात मालवा प्रदेश के कुछ बिश्नोई व्यापारी व्यापार के लिए चित्तौड़ पहुंचे। राजकर्मचारियों ने उन से कर माँगा। बिश्नोईयों ने यह कह कर देने से इनकार कर दिया कि जाम्भोजी के शिष्य बिश्नोई है तथा जोधपुर, जैसलमेर,नागौर एंव बीकानेर राज्यों में बिश्नोईयों से कर नहीं लिया जाता।अतः वे कोई कर नहीं देंगे।इस बात पर विवाद बढ़ा तो बिश्नोईयों ने वहाँ अनशन कर दिया।राजा रानी स्वयं उपस्थित हुए तथा बिश्नोईयों से कहा कि वे…

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शब्द नं 64

मैं कर भुला माण्ड पिराणी शब्द की शेष व्याख्या से आगे जीवर पिंड बिछोवो होयसी ता दिन दाम दुगाणी जिस दिन यह जीव इस शरीर से बिछुड़ जाएगा,उस दिन यह सारा सांसारिक धन वैभव इसके लिए पराया हो जाएगा।आज जिन संबंधियों एवं धन-दौलत पर इसका विश्वास टिका हुआ है,उस दिन ये सब इसके रती-पाई भी काम नहीं आएँगे। आड न पैकों रति बिसोवो सीजे नाही ओ पिंड काम न काजू उस माया से पाई भर या रति भर भी मदद…

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शब्द नं 65

तउवा जाग ज गोरख जाग्या जैसलमेर के राजा जैतसिंह ने जांभोजी महाराज से कहा कि वह उनके लिए एक पत्थरों का मंदिर बनाना चाहता है, परंतु उसके पिता की इस में रुचि नहीं है।गुरु महाराज ने जैतसिंह एवं उसके पिता की इच्छा जान उन्हें यह शब्द कहा:- ओउम तउवा जाग जु गोरख जाग्या निरह निरंजन निरह निरालम्ब नर निहंचल नरलेपनूं नर निरहारी जुग छतीसो एकै आसन बैठा बरत्या ओर भी अवधु जागत जागूं हे जिज्ञासु भक्त जनों!योग की साधना तो…

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शब्द नं 66

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 उमाज गुमाज पंच गंज यारी एक बार अजमेर के मल्लूखान ने जोधपुर के रावल सांतल के भांजे नेतसिंह को पकड़कर अपने कैद खाने में डाल दिया।नेतसिंह ने अपने मामा सांतल के पास समाचार भिजवाया कि वे उसे कैद से छुड़वायें।राव सांतल ने बारह कोटडियों के ठाकुरों को बुलाया तथा अपने भांजे को छुड़ाने के विषय में निवेदन किया।ठिकानेदारों ने विचार-विमर्श करने के पश्चात निर्णय लिया कि वे मल्लूखान से युद्ध करके जीत नहीं सकते। राव दूदाजी ने सुझाव दिया…

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खिलते पुष्प : कुसुम गोदारा बिशनोई

समाज व देश का नाम रोशन करने वाली बिश्रोई समाज की बेटी #_कुसुम_बिश्रोई_गोदारा_नोसर को भारतीय सेना में कैप्टन से पदोन्नित होकर मेजर बनने पर कुसुम बिश्रोई गोदारा नोसर को बहुत बहुत बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं ।। 💐🙏 समाज को आप की उपलब्धि पर नाज है ।।

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हरेजस कथा साखी कहो,केवत छंद सिरलोक।

हरेजस कथा साखी कहो,केवत छंद सिरलोक। परमानंद हरि नाम की सोभा तीन्यो लोक॥१०॥ -(परमानंद जी बणिहाल) शब्दार्थ– हरेजस–हरि का यश। कथा–कथा। साखी–साखी। कहो–कहनी चाहिए,कहो। केवत–कविता। छंद–छंद। सिरलोक–श्लोक। परमानंद–परमानंद जी बणिहाल। हरि–विष्णु,परमसत्ता। नांव–नाम। की–की। सोभा–कांति, चमक। तीन्यो लोक–तीनो लोक। सरलार्थ–भगवान विष्णु श्री हरि का यश, कथा को साखियों, कविता ,छंदों और श्लोकों के द्वारा कहो परमानंद जी कहते हैं कि हरि नाम के यश की महिमा तीनो लोको में हैं। 23/05/2020 🙏🏻–(विष्णुदास)

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टोटी टोटी मांगता,माता रोटी देय।

टोटी टोटी मांगता,माता रोटी देय। खीजमत्य खाली न रहे,नांम धणी का लेय॥११॥ -(परमानंद जी बणिहाल) शब्दार्थ– टोटी टोटी–टोटी-टोटी। मांगता–माँगता हैं। माता–प्रथम गुरू। रोटी–रोटी। देय–देती हैं। खीजमत्य–सेवा। खाली–खाली। न–नही। रहे–रहती,जाती। नांम–नाम। धणी–स्वामी। का–का। लेय–लिया हुआ। सरलार्थ–छोटा बच्चा अपनी तोतली बोली में रोटी की जगह टोटी-टोटी माँगता है लेकिन माँ समझ जाती है और उसको रोटी देती हैं उसी प्रकार से सर्वशक्तिमान परमेश्वर नाम स्मरण रूपी सेवा को कभी निष्फल नहीं होने देते वे उसका फल जरूर देते हैं। 24/05/2020 🙏🏻–(विष्णुदास)

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