श्री गुरु-वंदना
सुख के सागर सतगुरु जाम्भोजी, परम् शांति के धाम। श्री युग सरोज में,पुनि पुनि करू प्रणाम।। पद पंकज गुरुदेव के,राखू हिय बसाय। बार बार वंदना करू,शीश निवाय निवाय।। जीव काज हित जगत में,लीन्हा प्रभु अवतार। श्री गुरुजाम्भो जी के रूप प्रकटे स्वयं करतार।। दुःखी जीवो की लख दशा,समराथल रचा दरबार। दुःख कष्ठ सब हर लिए,दीन्हा सुख अपार।। जो आया चरणार में,तिसको किया निहाल। ज्ञान सबद बतलाकर के,कर दिया मालामाल।। नियम बनाये भक्ती के,सतगुरु परम् उदार। जो जन नित पालन करे,निश्चय…