

सबद-26 ओ३म् घण तण जीम्या को गुण नांही, मल भरिया भण्डारूं। आगे पीछे माटी झूलै, भूला बहैज भारूं।
ओ३म् घण तण जीम्या को गुण नांही, मल भरिया भण्डारूं। आगे पीछे माटी झूलै, भूला बहैज भारूं। भावार्थ- यह जमात का महंत अध्धिक भोजन खाने से मोटा-स्थूल हो गया है। किन्तु अधिक खाकर मोटा होने में कोई गुण नहीं है। यह शरीर रूपी भण्डार मल से ही तो भरा हुआ है। इसके आगे और पीछे चर्बी रूपी माटी ही तो झूल रही है। यह बेचारा अपनी भूल के कारण ही तो भार उठाकर घूम रहा है। बिना परिश्रम के स्वाद…