🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
” एकळवाई थळ सिर ऊभो,केवळ ग्यांन कथै करतार।सुरग देवंण आयो सुचियार,विसंन जपौ दसवैं अवतार।त्रिषा नींद षुध्या तिस नांहीं,जोवो भगतौ आळीगार।आदि विसंन संभरथळ आयौ,लंक तंणों गढ़ लेवंणहार।-(कान्होजी) भावार्थ स्वम्भू भगवान श्री जम्भेश्वर समराथल पर विराजमान होकर कैवल ज्ञान प्रदान कर रहे…