🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

” एकळवाई थळ सिर ऊभो,केवळ ग्यांन कथै करतार।सुरग देवंण आयो सुचियार,विसंन जपौ दसवैं अवतार।त्रिषा नींद षुध्या तिस नांहीं,जोवो भगतौ आळीगार।आदि विसंन संभरथळ आयौ,लंक तंणों गढ़ लेवंणहार।-(कान्होजी) भावार्थ  स्वम्भू भगवान श्री जम्भेश्वर समराथल पर विराजमान होकर कैवल ज्ञान प्रदान कर रहे…

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शब्दवाणी

नाते भूला मूल न खोजो ; सीँचो कांय कमूलू ‘ ? विसन विसन भंणि अजर जरीलौ ; औ जीवंण का मूलू ‘ । शब्दार्थ : – हे लोगो ! तुम तो पेड के पतोँ मेँ ही भूले हुए हो ,…

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🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

“रंग मां मांडै राड़ि, कुबधि सदा काया बसै। अंतरि सदा उजाड़, सरम नहीं जां साम्यजी। -(केशोजी) -भावार्थ-‘ किसी अच्छे कार्य में विघ्न-बाधा उपस्थित करना जिनका स्वभाव है। ऐसे लोगों का हृदय निरस होता है अन्तर में सदा कुबुद्धि ही उपजति…

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🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

” कउवो चुगै कपूर, हंस हाल्यो दिन कटै। क्या मन की मरजाद, बात बेहमाता थटै। स्वांनि चढ़ै सुखपाल, गऊसुत गुणि उठावै। करि केहरि कूं कैदि, पिंडत पर भोमि हंढ़ावै। -(केसोजी) -भावार्थ-‘ कौवे को पवित्र-पौष्टिक खाना मिलता है,हंस बड़े अभाव में…

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🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

” रे मन ख्याली सावल चाली, कावल पांव न दीजै। बार बार समझाऊं तो कूं, हरि भज लाहो लीजै। -(हरजी वणियाल) -भावार्थ-‘ पल-पल में विचार बदलने वाले रे मन! तूं सावधान होकर सुमार्ग पर चल,कुमार्ग पर पांव मत रख। मेरा…

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 जाम्भाणी संत सूक्ति

“जाता वार न लागै जीव कूं, नहीं भरोसा तन का। सांसो सांस सिंवर ले साहब, छाड़ मनोरथ मन का। -(उदोजी अड़ींग) -भावार्थ-‘ यह शरीर नश्वर है, इसके नष्ट होते देर नहीं लगेगी, इसलिए एक भी श्वास व्यर्थ मत गंवा और…

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जाम्भाणी संत सूक्ति

“और न चाले साथ जीव के, कै सुकरत हरि नाम। नाम विना भवसागर भरमै, और न आगे ठांम। -(उदोजी अड़ींग) -भावार्थ-‘ जीव के संसार से जाते समय भगवान का नाम और शुभ कर्मों का फल ही उसके साथ जाता है।…

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जाम्भाणी संत सूक्ति

“खोज रहे सब माघ पिराणी, गुरु बिन लहै न आसै। चकमक कड़े अग्न प्रजले, यूं गुरु ज्ञान प्रकासै। -(उदोजी अड़ींग) -भावार्थ-‘ सभी ज्ञान पिपासु लोग ज्ञान मार्ग की खोज करते हैं परन्तु वह मार्ग गुरु के बिना नहीं मिलता। जैसे…

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है कोई आछे मही मंण्डल शूरा ।मनराय सूं झूझ रचायले ।।अथगा थगायलले अबसा बसायले ।।

पंच आत्मा –शरीर रूपी नगर मे पांच ज्ञानईंद्री पांच कर्मईंद्री पांच प्राण इन सब की त्रिपुटी मे मन राज करता है ।राजा व राज्य का कार्यभाल सब मंत्री के हाथ होता है ।आत्मा पंच–मंत्री है यह सब राजा मंत्री का…

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🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

“औरां नै उपदेस दे, आप चेते नहीं अचेत। करै जगत को जाबतो, घर को भिळग्यो खेत। -(परमानन्दजी वणियाल) -भावार्थ-‘जो दूसरों को तो उपदेश बहुत देते हैं परन्तु उस उपदेश को स्वयं के आचरण में नहीं लाते ऐसे तथाकथित उपदेशकों का…

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🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸

“मन गयौ तो जांण दै, दिढ करि राखि सरीर। बिनां चढ़ी कुबांणि को, किस विधि लगै तीर। -(परमानन्दजी वणियाल) -भावार्थ-‘ भरपूर प्रयत्न करने के बाद भी मन वश में नहीं होता तो उसे स्वतंत्र छोड़ दें और ‘स्वयं’ को उससे…

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जाम्भाणी संत सूक्ति

“एक लख पूत सवा लख नातियां, दस बंधु सिरताज। एक सीता के कारणै, गयो रावण को राज। -(परमानन्दजी वणियाल) -भावार्थ-‘ लाखों सदस्यों के परिवार वाले महाबली दशानन रावण का राज्य और लंका का विपुल ऐश्वर्य एक परस्त्री के अपहरण के…

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