शब्द नं 97

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 विष्णु विष्णु तूं भण रे प्राणी एक समय गंगा पार के विश्नोई गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आ रहे थे। उन्होंने रोटू के पास मांगलोद गांव के किनारे एक सरोवर के पास विश्राम किया। वहीं एक माता जी का…

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शब्द नं 98

जिंहि गुरु के खिण ही ताऊ-खिंण ही सीऊ एक समय समराथल धोरे पर जमाती भक्तजनों ने गुरु जंभेश्वर महाराज से संसार एवं प्रकृति की परिवर्तन शीलता के विषय में जानना चाहा कि वह कौन सी शक्ति है जो क्षण भर…

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शब्द नं 99

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 साच सही म्हे कूड न कहिबा पूर्व प्रसंग में कहे हुए शब्द को सुनकर जमाती लोगों ने कहा कि इस प्रकार की रहस्य भरी योग की बातें वे क्या जाने तथा उन्होंने गुरु जंभेश्वर महाराज से दान देने के…

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शब्द नं 100

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 अरथूं गरथूं साहंण थाटूं एक समय समराथल पर संत मंडली में दान देने विषयक चर्चा चल रही थी,उसी समय एक राजा ने जिज्ञासा प्रकट की कि जो कोई धन-दौलत, हाथी घोड़ों का नित्य दान करता है, उसकी क्या गति…

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शब्द नं 101

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 नित ही मावस नित ही संकरांत पूर्व शब्द के प्रसंगानुसार समराथल धोरे पर संत मंडली में दान देने के समय एवं पात्र के बारे में चर्चा चल रही थी।उसी चर्चा के दौरान एक ब्राह्मण ने अपना मत प्रकट किया…

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शब्द नं 102

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 विसन विसन भणि अजर जरिजै एक समय की बात है कि बूढ़ा खिलेरी नाम के व्यक्ति ने आकर गुरु महाराज से कहा कि वह अपने घर परिवार को तो छोड़ नहीं सकता,परंतु इस संसार में जन्म मरण के चक्कर…

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शब्द नं 103

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 देख्या अदेख्याः सुण्या असुण्या मूला नाम का एक ब्राह्मण था। उसके कोई संतान नहीं थी। उसने अपनी बहन के पुत्र को पाल-पोष कर बड़ा किया तथा उसे ही अपना पुत्र जान अपना घर-बार, धन-संपत्ति सब कुछ उसे सौंप दिया।वह…

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शब्द नं 104

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 कण कंचण दानूं कछू न मानू एक समय दूर देश, बिजनौर का रहने वाला एक धनी बिश्नोई समराथल धोरे पर गुरु महाराज के पास आया। उसने गुरु महाराज के चरणो में छः धडी सोना भेंट चढ़ाया और प्रार्थना की…

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शब्द नं 105

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आपै अलेख उपन्ना शिंभू दूदा मेड़तिया तथा जोधपुर नरेश मालदेव ने श्री जम्भेश्वर महाराज द्वारा प्रलय के प्रकार और महाप्रलय में समस्त सृष्टि का ब्रह्म में लीन होने की कथा सुनने के पश्चात गुरु महाराज से प्रश्न किया कि…

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शब्द नं 106

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सुंण रे काजी- सुंण रे मुल्ला एक समय श्री जंभेश्वर महाराज काबुल मुल्तान होते हुए हज-काबे पहुँचे।वहां दरिया के किनारे एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था।जाम्भोजी ने उसे मछली मारने से मना किया उसे तथा काजी को चमत्कार दिखाकर…

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शब्द नं 107

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सहजे शीले सेज बिछायों एक समय की बात है, पाँच सौ वैरागी साधुओं की एक जमात महंत लालदास के साथ हरिद्वार से द्वारिकापुर जा रही थी। उस जमात ने रास्ते में पीपासर ग्राम के पास विश्राम किया। स्थानीय लोगों…

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शब्द नं 108

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 हालिलो-भल पालिलो पूर्व शब्द के प्रसंगानुसार जब श्री जंभेश्वर महाराज ने सतगुरु की शरण में जाने और आत्म साक्षात्कार करने संबंधी शब्द कहा तब उसी वैरागी साधु ने गुरु महाराज से प्रार्थना की कि वे उसे कोई योग साधना…

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