सबद-49 ओ३म् अबधू अजरा जारले, अमरा राखले

दोहा : जोगी सतगुरु यूं कहै, वाता तणा विवेक। सतगुरु हमने भेटियों, दर्षन किया अलेख। वह जोगी दूत बनकर आया था, , कहने लगा-हे महाराज! वे हमारे लक्ष्मण नाथ तो बड़े विवेकी है। उन्होंने हमें ज्ञान बताया है। इसलिये हमने…

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शब्द -50 ओ३म् तइयां सासूं तइया मासूं, तइया देह दमोई। उतम मध्यम क्यूं जाणिजै, बिबरस देखो लोई।

शब्द – ओ३म् तइयां सासूं तइया मासूं, तइया देह दमोई। उतम मध्यम क्यूं जाणिजै, बिबरस देखो लोई।   भावार्थ- जब तक योगी की दृष्टि में स्त्री-पुरूष का भेदभाव विद्यमान रहेगा तब तक वह सच्चा योगी सफल योगी नहीं हो सकता।…

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सबद-51 ओ३म् सप्त पताले भुंय अंतर अंतर राखिलो, म्हे अटला अटलूं।

ओ३म् सप्त पताले भुंय अंतर अंतर राखिलो, म्हे अटला अटलूं। भावार्थ- इस शरीर के अन्दर ही सप्त पाताल है जिसे योग की भाषा में मूलाधार चक्र जो गुदा के पास है इनसे प्रारम्भ होकर इससे उपर उठने पर नाभि के…

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सबद-52 ओ३म् मोह मण्डप थाप थापले, राख राखले, अधरा धरूं। आदेश वेसूं ते नरेसूं, ते नरा अपरंपारूं।

दोहा जोगी इस विधि समझिया, आया सतगुरु भाय। देव तुम्हारे रिप कहो, म्हानै द्यो फुरमाय। सतगुरु कहै विचार, तुम्हारा तुम पालों। जोगी कहै इण भाय, नहीं दुसमण को टालों। देव कहै खट् उरमी, थारे दुसमण जोर। भूख तिस निद्रा घणी,…

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सबद-53 ओ३म् गुरु हीरा बिणजै, लेहम लेहूं, गुरु नै दोष न देणा

" ‘दोहा‘‘ सुणते ही जोगी गया, सतगुरु के सुण वाच। दुभद्या मन की सब गई, आयो तन में साच। प्रसंग-22 दोहा तब ही जमाती बोल उठे, समझावो गुरु ज्ञान। ज्ञान पाय गुरु आप से, सुखी भये कति जान। भूत भावी…

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सबद-54 ओ३म् अरण विवाणे रै रिव भांणे, देव दिवाणें, विष्णु पुराणें। बिंबा बांणे सूर उगाणें, विष्णु विवाणे कृष्ण पुराणे।

दोहा‘‘ अज्ञानी हम अन्ध भये, नहिं जानत दिन रैण। कृपा करो यदि पूर्ण गुरु, खुल जाये दिव्य नैण। तत विवेक ज्ञाता बने, रहे शांत प्रभु चित। रवि स्वयं ही रमण करे, या कछु और उगात। ऊपर के शब्द को श्रवण…

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शब्द 55

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *रिणघटिये के खोज फिरंता सुण सेवन्ता* नाथपंथी जोगी लोहा पांगल श्री जंभेश्वर का शिष्य बन, रूपा नाम धारण कर धरनोक गांव में एक प्याऊ पर पानी पिलाया करता था।एक समय घास कड़वी काटने वाले कुछ मजदूर किसान रूपा के…

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शब्द 56

कुपात्र कू दान जु दीयों जाणे रैण अंधेरी चोर जु लीयो* कुपात्र को दिया गया दान जैसे अंधेरी रात मैं चोर द्वारा चुराये गये धन के समान है *चोर जु लेकर भाखर चढ़ियो* *कह जीवड़ा तै कैने दीयों* कुपात्र उन…

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शब्द 57

*अति बलदानों सब स्नानो* सैंसे भगत के पुत्र ने गुरु जंभेश्वर महाराज से अति विनम्रता के साथ दास्य भाव की भक्ति के अनुरूप प्रार्थना की कि गुरु महाराज पतित पावन है, सबके स्वामी है तथा वह स्वय अति मंदबुद्धि पापियों…

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शब्द 58

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *तउवा माण दुरर्योधन माण्यां* गुरु जंभेश्वर द्वारा पूर्व शब्द का सुनकर जमाती लोगों के मन में यह संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या इस संसार से पार होना इतना कठिन है उन्होंने गुरु महाराज से जिज्ञासा प्रकट की कि क्या…

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शब्द 59

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *पढि कागल वेदूं सासतर शब्दूं* जमाती लोगों ने गुरु जांभोजी महाराज से पूर्व शब्द में यह जानकर कि किस युग में कितने लोग बैकुंठ धाम पहुंचे,पुनः प्रश्न किया कि वेद शास्त्र पढ़ने,सुनने एवं उनका चिंतन करने का का क्या…

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शब्द 60

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *एक दुःख वखमण बंधू हईयौं* श्री जाम्भोजी महाराज के जमाती भक्तजनों में महापुरुषों के जीवन में आने वाले संसारिक दुःख की चर्चा चल रही थी। भक्तजनों ने जब गुरु महाराज से इस संबंध में जानना चाहा तब श्री जम्भेश्वर…

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