

जांभाणी संत कवियों की वाणी
*सेस महेस व्रंभा सहति,नव जोगेसुर नांव।* *मारकुंडे सीनकादिका,प्या गुर हरे को नांव॥२॥* *-(परमानंद जी बणिहाल)* सेस–शेष महेस–महेश। व्रंभा–ब्रह्मा जी। सहति–समेत,सभी। नव–८ से एक ज्यादा,१० से एक कम। जोगेसुर–योगेश्वर, सर्वश्रेष्ठ योगी। नांव–नाम, पहचान के लिए दिया जाने वाला शब्द। मारकुंडे–मार्कंडेय। सीनकादिका–सनक,सनन्दन, सनातन,सनत्कुमार। प्या–प्रिय। गुर–ज्ञान,भारी। हरे–विष्णु,परमसत्ता। को–का। नांव–नाम। सरलार्थ–शेष,महेश, ब्रह्मा नो योगेश्वर, मार्कंडेय,और सनक,सनन्दन,सनातन,सनत्कुमार ये सभी गुरु उस प्रिय हरि के ही नाम है। 🙏🏼–(विष्णुदास)

लुप्त होती परम्परा
लुप्त होते पहनावे व परम्पराएं:– लगभग 1970 के दशक तक आधे हिसार, आधे भिवानी, फतेहाबाद व सिरसा या यूं कहें कि Old Hisar District में महिलाओं का यह पहनावा था तथा गांवों / घरों में नल नहीं थे। पानी कूओं, तालाबों, डीगिओं, नहरों या हैंडपंपों से लाया जाता था। सुबह शाम पनघट का समय होता था। पूरे गांव की औरतों के लिए आपस मे मिलने, बतियानें व नई नई ड्रैसिस पहनने का सुनहरा अवसर होता था। सिर पर मटके या…

जांभाणी संत कवियों की वाणी
🌸जांभाणी संत कवियों की वाणी🌸 नीगम अभ्यास नीस दिन करत,गुर गम नही उजास। सबद ज भेद जासै उरया,सतगुर प्रेम प्रगास॥१॥ -(परमानंद जी बणिहाल) शब्दार्थ– निगम–शास्त्र, विवेचनात्मक ज्ञान विषय ग्रंथ। अभ्यास–किसी कार्य को बार-बार करना। नीस दिन–२४ घंटे, निरंतर, लगातार, हमेशा, हर समय अहोरात्र। गुर–जो अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले कर जाए। गम–शिक्षा। नही–नही। उजास–प्रकाश, रोशनी। सबद–वाक्य,बोल,शब्द। ज–का। भेद–रहस्य,किसी बात के अंदर छुपा हुआ तत्व। जासै–उनको,उनका। उरया–उजागर, दीप्तिमय,प्रकट उत्पन्न। सतगुर–सच्चा पथ प्रदर्शक, सच्चा रहनुमा। प्रेम–स्नेह,प्रेम, प्रीति, अनुराग लगाव। प्रगास–प्रकाश,उजाला,रोशनी/…

पावो मोख दवार खिणु
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अवधू अजरा जारिले अमरा राखिले
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विसन विसन
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श्री गुरु जम्भेश्वर भजन
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2. समराथल धोरा
यह बीकानेर जिल की नोखा तहसील में स्थित हैं। सम्भराथल मुकाम से दो कि.मी. दक्षिण में हैं तथा पीपासर सें लगभग 10-12 कि.मी. उत्तर में हैं। बिश्नोई पंथ में सम्भराथळ का अत्यधिक महत्त्व हैं। यह स्थान गरू जाम्भोजी का प्रमुख उपदेश स्थल रहा हैं। यहंा गुरू जाम्भोजी इक्कावन वर्ष तक मानव कल्याण हेतु लोगों को ज्ञान का उपदेश देते रहें हैं। विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करने के बाद जाम्भोजी यहीं आकर निवास करते थे। यह उनका इक्कावन वर्ष तक स्थायी निवास रहा हैं।…

Guru is Santoshi
Guru is Santoshi, established in contentment, always dwells in the welfare of others. (His) speech is the essence of nectar. He is beyond speech. He is bliss (parmaananda). Guru Jambheshwar Bhagwan

Guru understands
Guru understands the vibrations or dynamics of the universe and is a knower of Vedas. GURU JAMBHESHWAR BHAGWAN

मैं जिसको प्रणाम करूँ वो सतगुरु देव जम्भेश्वर है
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Guru is one who
Guru is one who lives and behaves naturally with a simple lifestyle, his actions are in complete harmony with his words and speech. Guru Jambheshwar Bhagwan