
“तां मेली करतार,
जहां धरम का नहीं धोखा।
तां मेली करतार,
साध मोमण दिल चोखा।
सती संतोषी सीलवंत,
सद पूछै पर वेदना।
विसन भगत उदो कह,
तां मेली मदसूदना।
-(उदोजी नैण)
-भावार्थ-‘ जहां धर्म के नाम पर धोखा नहीं है, जहां शुद्ध अन्तःकरण वाले साधक, उज्जवल चरित्र की स्त्रियां, संतोषी,शीलवान लोग निवास करते हैं। आत्मीयतापूर्ण लोग जहां परपीड़ा निवारण के लिए तत्पर रहते हैं।हे भगवान! मुझे ऐसे स्थान पर वास देना।’
(जम्भदास)






