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*बारा पोल-नवै दरसाजी*
श्री बालनाथ योगी ने पुनः गुरु जांभोजी से कहा कि योग साधना से जोगी की उम्र बढ़ती है और निर्वाण प्राप्त होता है तथा इस बात की पुष्टि मार्कंडेय पुराण से होती है।जिसने प्राणायाम द्वारा साँस को जीत लिया उसकी उम्र अपार हो जाती है।बालनाथ का कथन जान गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:-
*बारा पोल नवै दंरसाजी राय अथर गढ़ थीरूं*
यह स्थूल शरीर एक गढ़ हैं। जिसके आँखें, कान, नाक, मुंह, मल- मूत्र द्वार नौ बड़े- बड़े दरवाजे हैं और इस देह गढ़ के बीचो-बीच बारह कमल दल वाला हृदय चक्र अवस्थित है। जिस में इस शरीर का राजा मन निवास करता है। यह देह गढ़ तो स्थूल एवं स्थिर है, परंतु इस का राजा मन बड़ा चंचल है, वह एक क्षण भी स्थिर नहीं रहता।
*इस गढ़ कोई थिर न रहिबा* *निश्चय चाल* *गया गुरू पीरूं*
यह स्वयं सिद्ध सत्य है कि इस देह रूपी गढ़ में आज तक कोई स्थाई रूप से स्थिर नहीं रह सका। इस में जो रहता है,उसे एक न एक दिन इसे छोड़ कर जाना पड़ता है।जो जन्मता है, वह अवश्य मरता है।इस में बड़े से बड़ा कोई गुरु, पीर या महापुरुष भी अपवाद नहीं है। यह स्थूल शरीर रूपी गढ़, यहीं रह जायेगा और इसके राजा मन को इसे छोड़ कर अवश्य जाना पड़ेगा।अतः योग साधना द्वारा अमर होने की लालसा एक झूठे छलावे के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
क्षमा सहित निवण प्रणाम
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*जाम्भाणी शब्दार्थ*
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