

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
लोहा पांगल ने पूर्वोत्तर शब्द सुनने के पश्चात जाम्भोजी से कहा कि हमारा जोग अपार है।हमने योग द्वारा सिद्धि प्राप्त कर ली है।आप हमारी सिद्धि पर कुछ अपना मत प्रकट करें।योगी के कथन को जान गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:-
ज्यूँ राज गये राजिंदर झूरे खोज गये न खोजी
हे योगी!जैसे राज्य छीन जाने पर राजा व्यथित होकर रोता है,और चोरों के पदचिन्ह खो जाने पर उनके पीछे-पीछे चलने वाला खोजी दुखी होता है ।
लांछ मुई गिरहायत झूरे अरथ बिहुणा लोगी
घरवाली स्त्री के मर जाने पर, गृहस्थ पुरुष दुखी होकर होता है।सांसारिक लोग धन संपत्ति खो जाने पर दुखी होते हैं ।
मोर झुड़े कृषाण भी झूरे बिंद गये न जोगी
इसी प्रकार अपने खेत में लहराती फसल पर आए पुष्प ,जब आंधी तूफान से झड़ जाते हैं,तो किसान भी दुखी होकर रोता है।वैसे ही साधना रत योगी त्रिकूटी में लगे ध्यान बिंदु को खो जाने पर दुखी होता हैं।
जोगी जंगम जपिया तपिया जती तपी तक पिरु
इसी प्रकार योगी,जंगमी,जप करने वाले,तप करने वाले जती,तपस्वी,तकियो मे वास करने वाले पीर,सब अपने-अपने स्तर पर कुछ न कुछ खो जाने से दुखी एवं पीड़ित हैं। कारण,ये सब स्थूल क्रिया-कर्मों में पड कर परम तत्व प्राप्ति के सूक्ष्म मार्ग को भूल गये है।सत्य साधना पथ से भटक गये है।
जिंहि तुल भूला पाहण तोले तिहि तुल तोलत हीरु
हे योग साधने के भ्रम में पड़े हुए योगी!जिस तराजू पर बड़े-बड़े शिलाखंड तोले जाते हैं, तुम उस तुला पर हीरा तोड़ने की नासमझी कर रहे हो। तुम स्थूल और सूक्ष्म के भेद को नहीं समझते।ये बाहरी कर्मकांड के दिखावे स्थूल है।तत्त्वज्ञान सूक्ष्म है, जो केवल अनुभूति का विषय है।
जोगी सो तो जुग जुग जोगी अब भी जोगी सोई
जो सच्चा योगी है,वह तो युगों युगों तक योगी ही रहता है और अब भी वह योगी ही हैं।एक बार जिसने सच्चा योग साध लिया, वह फिर भ्रम में पड़कर नहीं भटकता।
थे कान चिरावों चिरघट पहरो आयसा यह पाखंड तो जोग न कोईजटा बधारो जीव सिघारों आयसा इहि पाखंड तो जोग न होई*
परंतु! तुम अपने कान चिरवाते हो,कन्था पहनते हो,लंबी-लंबी जटाये रखते हो और जीवों को मारकर खाते हो,क्या ये सब पाखंड,ये दिखावे,योग साधना के सोपान है? नहीं! कभी नहीं!तुम भ्रम में पड़कर भटक रहे हो।तुम्हारे लक्षण योगियों के नहीं है।तुम सच्चे योगी नहीं हो।
क्षमा सहित निवण प्रणाम
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जाम्भाणी शब्दार्थ
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.