शब्द नं 66

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
उमाज गुमाज पंच गंज यारी
एक बार अजमेर के मल्लूखान ने जोधपुर के रावल सांतल के भांजे नेतसिंह को पकड़कर अपने कैद खाने में डाल दिया।नेतसिंह ने अपने मामा सांतल के पास समाचार भिजवाया कि वे उसे कैद से छुड़वायें।राव सांतल ने बारह कोटडियों के ठाकुरों को बुलाया तथा अपने भांजे को छुड़ाने के विषय में निवेदन किया।ठिकानेदारों ने विचार-विमर्श करने के पश्चात निर्णय लिया कि वे मल्लूखान से युद्ध करके जीत नहीं सकते। राव दूदाजी ने सुझाव दिया कि गुरु जांभोजी महाराज से प्रार्थना की जावे कि वे हमारी मदद करें।रावदूदा जाम्भोजी के शिष्य थे और अजमेर का मल्लूखान भी जाम्भोजी को अपना पीर मान कर श्रद्धानत था। राठौड़ ने काकोलाव तालाब पर अपनी फौज का डेरा डाला और गुरु महाराज से नेसिंह को छुड़ाने की प्रार्थना की।उतने में ही वहाँ मल्लूखान भी गुरु दर्शन को अपनी सेना संहित आ पहुँचा। मल्लूखान ने जब गुरु महाराज के चरणस्पर्श कर आदेश मांगा,उस समय गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:-
उमाज गुमाज पंज गंज थारी रहिया कुपहि शैतान की यारी

हे खान!तुम अपने अहंकार का नशा त्याग दो। काम,क्रोध ,ईर्ष्या मद,लोभ और मोह इन पांचों शत्रुओं को अपने वश में रखो।इन शत्रुओं से मित्रता का नाता तोड़ तथा शैतान की संगत तथा बुराई के मार्ग से दूर हटकर चल।

शैतान लो भल शैतान लो शैतान बहो जुग छायों

इस कलयुग में दुष्टों का बाहुल्य है। इस युग में चारों और दुष्ट ही दुष्ट छाए हुए हैं।चाहे कोई भलाई के लिए ही शैतान का साथ क्यों न करें, परंतु शैतान तो शैतान ही रहता है।

शैतान की कुबध्या खेती ज्यूं काल मध्ये कुचिलूं

दुष्ट कभी अपनी दुष्टता नहीं त्यागते। पापी,छली,दुष्ट लोग निरंतर कोई न कोई कुबध रचने में लगे रहते हैं।कुबध करना ही उनका काम है।वे और कोई खेती नहीं करते।कुबध ही उनकी खेती है।

बे राही बे किरियावंत कुमति दौरे जायसैं

अपनी दुर्बुद्धि द्वारा षड्यंत्र रचना ही उनका स्वभाव होता हैं तथा वे हर समय नीचता करने में ही लगे रहते हैं।ऐसे कुमार्गी,कुकर्मी, कुबुद्धि लोग मरने के बाद नर्क में जाएँगे।

शैतानी लोड़त रलियों
जां जां शैतान करे उफारुं तां तां मंहत ज फलियों नील मध्ये कुचील करबा साध संगिणी थूलूं

दुष्ट नित्य काम वासना में लिप्त रहते हैं तथा जब जब दुष्ट लोग इस संसार में अपने अहंकार को प्रदर्शित करते हुए अति घोर पाप कृत्यों में सक्रिय होते हैं और सज्जनों को कष्ट देते हैं तथा उनके साथ दुराचरण करते हैं, तब-तब महान आत्माएं इस संसार में अवतरित होती है।

पोहप मध्य परमला जोती ज्यूं सुरग मध्ये लीलूं

जिस प्रकार सुगंध पुष्प में सर्वत्र समाई रहती है,जैसे स्वर्ग में आनंद समाया रहता है, उसी प्रकार परमपिता परमेश्वर परम ज्योति स्वरूप,सर्वत्र परिव्याप्त है।

संसार मे उपकार ऐसा ज्यूं घण बरषंता नीरूं

हे खान! जिस प्रकार बादल निष्पक्ष,निष्काम,निर्लिप्त भाव से सर्वत्र वर्षा करते हैं, उसी प्रकार तुम इस संसार में रहते हुए निष्काम भाव से दूसरों का भला करो।

संसार मे उपकार ऐसा ज्यूं रूही मध्ये खीरुं

जैसे एक मां अपने शिशु के प्रति ममत्व और स्नेह से भर कर अपने खून को दूध में बदल देती है, उसी तरह पूर्ण समर्पण एवं एकांत्म भाव से किया गया परोपकार ही फलदाई होता है।कारण, उसमें अहंकार एवं लोग का लेश मात्र भी नहीं रहता।

क्षमा सहित निवण प्रणाम
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जाम्भाणी शब्दार्थ

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 799

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *