

कै तें कारण किरिया चूक्यो दशरथ पुत्र लक्ष्मण के राम-रावण युद्ध में शक्ति बाण लगने और राम द्वारा विलाप संबंधी शब्द को सुनकर जमाती लोगों ने जिज्ञासा प्रकट की कि ऐसे कौन से कदाचार है, जिसके कारण महापुरुषों को भी कष्ट भोगने पड़े हैं? भक्त जनों की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने उस प्रसंग को याद करते हुए लक्ष्मण की चेतना लौट आने पर राम ने जो प्रश्न लक्ष्मण से पूछे,उन्हीं प्रश्नों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए यह शब्द कहा:-
कैं तैं कारण किरिया चुक्यो ?कैं तैं सूरज सामों थूक्यों?
राम ने लक्ष्मण से पूछा कि उससे ऐसी कौन सी भूल हुई,जिसके कारण उसे अचेत होना पड़ा? क्या उससे नित्य क्रिय-कर्मों के पालन में कोई चूक हो गई थी? क्या उसने कभी अहंकार एवं निरादर भाव से सूर्य के सामने मुंँह कर के थूका?
कैं तैं उभे कांसा मांज़्या?
कैं तैं छान तिणुका खेंच्या?
क्या उसने कभी खड़े-खड़े काँसे के जूठे बर्तनों को साफ किया (मांजा)?क्या कभी उसने किसी की छान -छप्पर से तिनके खींचकर उसे बिखेर दिया?
कैं तैं बांमण निवत बहैडया कैं तैं आंवा कोरंभ चोरया
क्या उसने कभी किन्ही ब्राह्मणों को भोजन का न्यौता देकर,उन्हें वापिस भूखा ही भेज दिया?क्या उसने कभी किसी कुम्हार के आवा में से बर्तन चुराये थे?
कैं तैं बाड़ी का बन फल तोड़या?
कैं तैं जोगी का खप्पर फोड़या?
क्या उसने कभी किसी अन्य की बाड़ी में से छिप कर उसके वनफलों को तोड़ा,उन की चोरी की? क्या उसने किसी योगी के कमंडल को उद्दण्डता वश फोड़ दिया था?
कैं तैं ब्राह्मण का तागा तोड़या?
कैं तैं बैर विरोध हट धण लोडया
क्या उसने किसी ब्राह्मण का अपमान करते हुए उसके यज्ञोपवीत(जनेऊ)को तोड़ा था?
क्या उसनें कभी हट पुर्वक किसी के धन व स्त्री को हड़प्पा था।
कैं तैं सूवा गाय का बच्छ बिच्छोडया?
कैं तैं चरती पिवती गऊ विडारी?
क्या उसनें कभी दुधारू गाय के बछड़े को उससे अलग किया था?क्या उसने कहीं कभी मैदान में घास खाती या जलाशय पर पानी पीती गायों को डराया था ?
कैं तैं हरी पराई नारी?
कैं तैं सगा सहोदर मारया?
क्या उसने कभी किसी अन्य की स्त्री का हरण किया था?क्या उसनें कभी सगे सम्बन्धियों को मारा?
कैं तैं तिरिया सिर खडग उभारया?
कैं तैं फिरते दांतण कियो?
क्या उसने कभी किसी अबला स्त्री के सिर पर तलवार चलाई? क्या उसने कभी चलते-फिरते दातुन किया था?
कैं तैं रण मैं जाय दोहो दीयों?
कैं तैं वाट कूट धन लीयो?
क्या उसने कभी किसी जंगल में जाकर आग लगाई थी?क्या उसनें राह चलते किसी को मारपीट कर उसका धन हड़प लिया।
किसे सरापे लक्ष्मण हइयूं?
राम पूछते हैं कि है लक्ष्मण!इन उपर्युक्त दुराचरणों में से तुमने ऐसा कौन सा पाप कृत्य किया था, जिसके दोष एवं शराप के कारण तुम्हें आहत होकर मूर्छित होना पड़ा?अर्थात ये वे दोष हैं, जिन के कारण कोई व्यक्ति आहत होकर मूर्छित होता है।
क्षमा सहित निवण प्रणाम
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जाम्भाणी शब्दार्थ
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