जो भी बिश्नोई रत्न के संपर्क में आया कंचन बन गया

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मा, पब्बाराम बिश्नोई प्रदेश मंत्री, भा.ज.पा., राजस्थान

बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलालजी के देहावसान के समाचार से संपूर्ण भारत का बिश्नोई

समाज स्तब्ध है। यह समाचार समाज पर एक वज़पात के समान था और संपूर्ण मारवाड़ क्षेत्र में उस दिन चूल्हे तक नहीं जले। चौधरी साहब का जीवन संपूर्ण समाज के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा। संघर्षों से तपकर ही उनके ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण हुआ। हरियाणा जैसे समृद्ध राज्य के लगभग 13 साल तक मुख्यमंत्री बने रहना और जनता के दिलों पर राज करना तदोपरांत केंद्रीय मंत्री तथा विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर आसीन रहना, केंद्रीय कृषि एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को किसान एवं पर्यावरण प्रेमी सदैव याद रखेंगे।

बिश्नोई समाज के इतिहास में पहली बार किसी को बिश्नोई रत्न की उपाधि दी गई। यह कोई अनायास दिया गया सम्मान नहीं था। यह तो समाज के पुरोधाओं ने गहन चिंतन के बाद महान समाजसेवी चौधरी भजनलाल जी को दिया था जो सर्वथा उपयुक्त सम्मान था। संसार में कम ही लोग ऐसे होते हैं जिन्हें विभूषित कर सम्मान एवं पुरस्कार स्वयं तथा समाज खुद को गौरवान्वित अनुभव करता है। ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे चौधरी साहब। उन्होंने अपने जीवन में समाज उत्थान के असंख्य कार्य किए जिनमें पंचशती समारोह के भव्य आयोजन के उपरांत मुकाम में गुरु महाराज के भव्य मंदिर का निर्माण, दिल्ली में समाज के संस्थान भवन का निर्माण, जांभोलाव धाम में मंदिर निर्माण की प्रेरणा एवं सहयोग, हिसार में मंदिर व धर्मशाला का वर्तमान स्वरूप एवं अनेकों धर्मशालाओं तथा मंदिरों के निर्माण के प्रेरणास्त्रोत बने।

चौधरी साहब के पूर्वज कुछ पीढ़ियों पूर्व जोधपुर की फलौदी तहसील के मूंजासर गांव में निवास करते थे। वे बड़े गर्व से इस प्रसंग का जिक्र किया करते थे। यहां के लोग भी उनसे दिल की अंनत गहराइयों से प्यार करते रहे हैं तथा उनकी अप्रतिम सफलताओं पर गर्व करते रहे हैं। उनका इस तरह अचानक चले जाना सभी को नागवार गुजरा। वे एक ऐसे पारस पत्थर के समान थे कि जो भी उनके संपर्क में आया कचन (सोना) बन गया। मैं भी उनके प्रेरणादायी आशीर्वाद के स्पर्श एवं स्पंदन को अनुभव कर चुका हूं। सामाजिक कार्यों एवं धर्मशाला निर्माण के लिए मुझ अकिचन को उनके द्वारा मुकाम में सम्मानित किया गया। यह मेरे जीवन का सर्वोत्कृष्ट क्षण था। उन्हीं की प्रेरणा मुझे समाज सेवा में लगाए हुए हैं। उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को मेरे जैसे व्यक्ति द्वारा शब्दों में बांधना अत्यंत मुश्किल है। मेरा शब्दकोष जवाब दे चुका है। अंत:करण की भावनाओं को शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। अंत में यही कहा जा सकता है कि आने वाली पीढ़ियां जब उनके जीवन दर्शन एवं व्यक्तित्व को पढ़ेगी तो विश्वास नहीं कर पायेगी कि ऐसा व्यक्तित्व इस धरा धाम पर अवतरित हुआ होगा। ऐसे व्यक्तित्व सदियों बाद समाज में आते हैं और अपने जीवन अक से समाज को दिशा प्रदान कर प्रेरित करते हैं। ऐसे ही अप्रतिम व्यक्तित्व बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी को मैं श्री जंभेश्वर धर्मार्थ एवं परमार्थ ट्रस्ट लोहावट के समस्त सदस्यों एवं यहां के संपूर्ण समाज की ओर से हृदय की अनंत गहराइयों से श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। परमपिता जंभेश्वरजी से प्रार्थना करता हूंकि उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करते हुए स्वर्गलोक में स्थापित करे। संपूर्ण समाज एवं उनके परिवार को इस दारुण दु:ख को सहन करने की असीम शक्ति प्रदान करे।

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Sanjeev Moga
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