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” कै हरि की चरचा कर,
कै हरि हिरदै नाम।
प्रीतम पल न वीसारिया,
चलता करता काम।
-(परमानन्दजी वणियाल)
-भावार्थ-‘ उत्तम संग मिले तो व्यक्ति भगवदचर्चा करे अथवा तो एकान्त में भगवद् स्मरण करे। अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कर्म अवश्य करे,पर भगवान एक पल के लिए भी विस्मृत नहीं होना चाहिए।’
🙏 -(जम्भदास)
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