

“खोज रहे सब माघ पिराणी,
गुरु बिन लहै न आसै।
चकमक कड़े अग्न प्रजले,
यूं गुरु ज्ञान प्रकासै।
-(उदोजी अड़ींग)
-भावार्थ-‘ सभी ज्ञान पिपासु लोग ज्ञान मार्ग की खोज करते हैं परन्तु वह मार्ग गुरु के बिना नहीं मिलता। जैसे दो चकमक पत्थरों के आपस में टकराने पर अग्नि प्रज्वलित हो जाती है वैसे ही ज्ञानी गुरु को जिज्ञासु शिष्य मिलने पर ज्ञान का प्रकटीकरण होता है।’
🙏 -(जम्भदास)
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.