जाम्भाणी संत सूक्ति

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“जाता वार न लागै जीव कूं,
नहीं भरोसा तन का।
सांसो सांस सिंवर ले साहब,
छाड़ मनोरथ मन का।
-(उदोजी अड़ींग)
-भावार्थ-‘ यह शरीर नश्वर है, इसके नष्ट होते देर नहीं लगेगी, इसलिए एक भी श्वास व्यर्थ मत गंवा और भगवान का स्मरण कर।मन के मते अनुसार नहीं चलना चाहिए।
-(जम्भदास)

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Sanjeev Moga
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