जाम्भाणी संत सूक्ति

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
” मान सरोवर हंसा देख्या,
काग नजर नहीं आवै।
सागर नागर शीर पड़यो जब,
नाडूल्यां कुण न्हावै।
-(पदमजी)
-भावार्थ-‘ समुद्र के सम्पर्क में आने वाले को छोटे तालाब से कोई मतलब नहीं रहता,उसी तरह जिनको परमात्मा से प्रेम हो जाता है उन्हें संसार फीका लगने लगता है, परन्तु ऐसी स्थिति किसी विरले को ही प्राप्त होती है क्योंकि मानसरोवर पर हंस ही निवास कर सकते हैं कौए की वहां तक पहुंच नहीं होती।
🙏-(जम्भदास)


Discover more from Bishnoi

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 1749

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *