जाम्भाणी संत सूक्ति

” ओट जीसी कायर की रह,
सबल सेय सुवो फल लह।
रीझ नांह करकसा नारी,
पाथर नाव पोहंचिया पारि।
-(केसोजी)
-भावार्थ-‘ कायर की शरण लेना व्यर्थ है क्योंकि वह आपकी रक्षा नहीं कर सकता।सेमल के सुंदर फल को चौंच मारने पर तोते को निराश ही होना पड़ता है क्योंकि उसके अंदर से रुई निकलती है। कठोर वचन बोलने वाली स्त्री को कितना ही रिझा लो वह मधुर नहीं बोलेगी।पत्थर की नाव पर बैठकर नदी पार नहीं की जा सकती।
🙏-(जम्भदास)


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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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