
” डूंगरिया रा बादला,
ओछा तणां सनेह।
बहता बहै उतावला,
अंत दिखावै छेह।
-(पदमजी)
-भावार्थ-‘ छोटी पहाड़ी पर दिखाई देने वाला बादल और घटिया आदमी द्वारा प्रदर्शित प्रेम क्षणिक होता है, कब गायब हो जाए पता ही नहीं चलता।
(जम्भदास)
Protectors of nature, guardians of life.
Protectors of nature, guardians of life.


” डूंगरिया रा बादला,
ओछा तणां सनेह।
बहता बहै उतावला,
अंत दिखावै छेह।
-(पदमजी)
-भावार्थ-‘ छोटी पहाड़ी पर दिखाई देने वाला बादल और घटिया आदमी द्वारा प्रदर्शित प्रेम क्षणिक होता है, कब गायब हो जाए पता ही नहीं चलता।
(जम्भदास)