

*सेस महेस व्रंभा सहति,नव जोगेसुर नांव।*
*मारकुंडे सीनकादिका,प्या गुर हरे को नांव॥२॥*
*-(परमानंद जी बणिहाल)*
सेस–शेष
महेस–महेश।
व्रंभा–ब्रह्मा जी।
सहति–समेत,सभी।
नव–८ से एक ज्यादा,१० से एक कम।
जोगेसुर–योगेश्वर, सर्वश्रेष्ठ योगी।
नांव–नाम, पहचान के लिए दिया जाने वाला शब्द।
मारकुंडे–मार्कंडेय।
सीनकादिका–सनक,सनन्दन,
सनातन,सनत्कुमार।
प्या–प्रिय।
गुर–ज्ञान,भारी।
हरे–विष्णु,परमसत्ता।
को–का।
नांव–नाम।
सरलार्थ–शेष,महेश, ब्रह्मा नो योगेश्वर, मार्कंडेय,और सनक,सनन्दन,सनातन,सनत्कुमार ये सभी गुरु उस प्रिय हरि के ही नाम है।
🙏🏼–(विष्णुदास)
Discover more from Bishnoi
Subscribe to get the latest posts sent to your email.