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छव दरसण जिंहि कै रूपण थापण, संसार बरतण निजकर थरप्या।
-छः दर्शन उसी ;परमात्माद्ध के रूप का वर्णन कर रहे हैं, जिसने अपने हाथों से संसार की रचना की है।
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