
शब्द नं 115
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 म्हे आप गरीबी तन गूदडियो एक समय एक नाथपंथी जोगी श्री जंभेश्वर महाराज के पास आया और उनके सीधे-सादे पहनावे और अति शांत स्वरूप को देखा तो,उसने हाथ जोड़कर कहा कि आप अवतारी पुरुष होकर भी इस प्रकार की साधारण गुदडी धारण किए हुए बिना किसी आसन के भूमि पर क्यों बैठे हैं?यदि आप योगियों के योगी हैं तो इतने कृश-काय क्यों है?उस योगी के प्रश्न सुन गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- म्हे आप गरीबी तन गुदडियो…








