

सबद — 113
“दोहा” मुला सधारी यूं कहै, महंमद ही फुरमान। रोजे रखे निवाज पढ़े, बंदगी करै साहब तेहि मान सबद 112 को सुनकर मुल्ला कहने लगा — आप ऐसी बातें क्यों कहते हैं जिससे हमको दुःख होता हैं हम तो मुहम्मद साहब का फरमान स्वीकार करते हैं। रोजे रखते हैं नबाज पढ़ते हैं ऐसी हमारी बंदगी जरूर स्वीकार होगी हम लोग नर्क में कैसे गिर सकते हैं तब भगवान जांभोजी ने सबद 113 सुनाया सबद — 113 ईमा मोमण चीमा गोयम, महंमद…