

शब्द नं 117
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 टुका पाया मगर मचाया कनफाडे़ नाथपंथी जोगियों की जमात को जब श्री जंभेश्वर महाराज ने योग सिद्धि के चमत्कार दिखाना, योग का उद्देश्य न बतलाकर पेट पालने का पाखंड और बाजीगरी बतलाया, तब मृगीनाथ ने पुनः कहाकि वे कोई चलते-फिरते तमाशबीन नहीं है। उन्होंने भी अपने गुरु से योग की शिक्षा पाई है।वे भी सच्चे योगी हैं। उनकी गुरु दीक्षा की बात सुन गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- टुका पाया मगर मचाया ज्युं हंडिया का कुता हे…