शब्द नं 105

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आपै अलेख उपन्ना शिंभू दूदा मेड़तिया तथा जोधपुर नरेश मालदेव ने श्री जम्भेश्वर महाराज द्वारा प्रलय के प्रकार और महाप्रलय में समस्त सृष्टि का ब्रह्म में लीन होने की कथा सुनने के पश्चात गुरु महाराज से प्रश्न किया कि महाप्रलय के पश्चात जब पुनः सृष्टि प्रारंभ हुई तब सर्वप्रथम किस की और कैसे उत्पत्ति हुई?मालदेव की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- आप अलेख उपन्ना सिंभु निरह निरंजन धंधुकारूं आपै आप हुआ अपरंपर नै तद चंदा नै…

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शब्द नं 106

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सुंण रे काजी- सुंण रे मुल्ला एक समय श्री जंभेश्वर महाराज काबुल मुल्तान होते हुए हज-काबे पहुँचे।वहां दरिया के किनारे एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था।जाम्भोजी ने उसे मछली मारने से मना किया उसे तथा काजी को चमत्कार दिखाकर उन्हें जीव हिंसा से रोका तथा अपना शिष्य बनाया।गुरु महाराज की महिमा सुन उन्हें सच्चा पीर जान बारह काजी और तेरह खान उनके पास आये। उन्होंने एक-एक कर गुरु महाराज को नमस्कार किया तथा कहा कि वे उनके शिष्य बन…

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शब्द नं 107

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सहजे शीले सेज बिछायों एक समय की बात है, पाँच सौ वैरागी साधुओं की एक जमात महंत लालदास के साथ हरिद्वार से द्वारिकापुर जा रही थी। उस जमात ने रास्ते में पीपासर ग्राम के पास विश्राम किया। स्थानीय लोगों ने जब उस संत मंडली को कोई विशेष महत्व नहीं दिया और उनके सामने श्री जांभोजी महाराज का बखान किया तो महंत लालदास ने अपने एक शिष्य को जांभोजी के पास समराथल धोरे भेजा कि यदि कोई पाखंडी हो तो…

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शब्द नं 108

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 हालिलो-भल पालिलो पूर्व शब्द के प्रसंगानुसार जब श्री जंभेश्वर महाराज ने सतगुरु की शरण में जाने और आत्म साक्षात्कार करने संबंधी शब्द कहा तब उसी वैरागी साधु ने गुरु महाराज से प्रार्थना की कि वे उसे कोई योग साधना बतलावें, जिससे उसका अन्तःकरण शुद्ध बने, धर्म की प्राप्ति हो और साथ ही धन की भी प्राप्ति, क्योंकि धन के बिना इस संसार में कोई सुखी नहीं हो सकता।उस साधु द्वारा योग,धर्म एवं धन तीनों एक साथ प्राप्त करने की…

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शब्द नं 109

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 देखत भूली को मन मानै पूर्व प्रसंगानुसार हरिद्वार से आने वाली उस साधु जमात के उस योगी ने श्री जंभेश्वर महाराज द्वारा कहा हुआ पूर्व शब्द सुना तो उसने कहा कि योगासाधना द्वारा जिस ब्रह्मानंद को प्राप्त करने के विषय में आपने कहा उसे तो मैं अनुभव कर चुका हूँ।वह मुझे याद है। उस योगी की ऐसी स्वीकारोक्ति सुन गुरु महाराज ने उसे तथा उसकी जमात के सामने यह शब्द कहा:- देखत भुली को मन मानै सैवे बिलोवै बांझ…

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शब्द नं 110

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 मथुरा नगर की रानी होती जिस समय फलोदी के पास जाम्भोलाव तालाब का खनन हो रहा था,उस समय जमातीजनों ने एक गधी को दिखाकर गुरु जंभेश्वर महाराज से जानना चाहा कि इसने पूर्व जन्म में ऐसे क्या पाप कर्म किए थे कि इस जन्म में इसे गधी का जन्म मिला और इसके पीठ पर घाव है। उससे मवाद, खून बहता रहता है। दिन भर यह इसी घाव वाली पीठ पर ढाँची द्वारा पानी ढो रही है। पिठ से ढाँची…

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शब्द नं 111

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 खरड़ ओढीजै तूंबा जीमीजै एक बार चित्तौड़ की झाली रानी गुरु जंभेश्वर महाराज के दर्शनार्थ,चित्तौड़ से समराथल, खींदासर,जैसलां,झीझाले, भीयासर आदि प्रमुख साथरियों में होती हुई जाम्भोलाव तालाब पर पहुँची। वहाँ गुरु जंभेश्वर महाराज उस समय विराजमान थे।झाली रानी ने गुरु महाराज के दर्शन किये तथा वह आठ दिनों तक अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए।जब जाम्भोलाव तालाब से वापिस चितौड़ जाने को प्रस्थान करने लगी,तब रानी ने गुरु महाराज से प्रश्न किया कि आप ने रामावतार में अयोध्या में जो सुख…

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शब्द नं 112

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 जके पंथ का भाजणां मलेर कोटले का सेख- सदूखान नित्य सौ गायें मरवाता था।गुरु जंभेश्वर महाराज ने उस कुकृत्य को बंद करवाने के लिए अपने भक्त बाजेजी को मलेर कोटला भेजा। गुरु महाराज की मंत्र शक्ति के बल से बाजेजी ने जिस सूखे बाग में आसन लगाया,वह बाग हरा भरा हो गया। गायों की गर्दन पर कसाईयों की छुरी नहीं चली। देग का पानी गर्म नहीं हुआ।आग ठंडी हो गई। जब शेख को इन बातों का पता लगा तो…

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