शब्द नं 100

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 अरथूं गरथूं साहंण थाटूं एक समय समराथल पर संत मंडली में दान देने विषयक चर्चा चल रही थी,उसी समय एक राजा ने जिज्ञासा प्रकट की कि जो कोई धन-दौलत, हाथी घोड़ों का नित्य दान करता है, उसकी क्या गति होती है?राजा की जिज्ञासा जान श्री गुरु जंभेश्वर महाराज ने यह शब्द कहा:- अरथूं गरयूं साहंण थाटूं कुड़ा दीठो ना ठाटो कुड़ी माया जाल न भूली रे राजेन्द्र अलगी रही ओजूं की बाटो हे राजन! यह सासारिक धन- दौलत, घोड़ों…

Read Moreशब्द नं 100

शब्द नं 101

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 नित ही मावस नित ही संकरांत पूर्व शब्द के प्रसंगानुसार समराथल धोरे पर संत मंडली में दान देने के समय एवं पात्र के बारे में चर्चा चल रही थी।उसी चर्चा के दौरान एक ब्राह्मण ने अपना मत प्रकट किया की अमावस्या के दिन जब नवग्रह एक स्थान पर हो। तब किसी तीर्थ स्थान पर दिया हुआ दान फलीभूत होता है। संत मंडली के ही कुछ लोगों ने श्री जंभेश्वर महाराज से दान के समय एवं स्थान के विषय में…

Read Moreशब्द नं 101

शब्द नं 102

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 विसन विसन भणि अजर जरिजै एक समय की बात है कि बूढ़ा खिलेरी नाम के व्यक्ति ने आकर गुरु महाराज से कहा कि वह अपने घर परिवार को तो छोड़ नहीं सकता,परंतु इस संसार में जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति पाना चाहता है। गुरु महाराज उसे कोई ऐसा मार्ग बतलावे, जिस पर चलकर वह घर संसार में रहते हुए मुक्ति पा ले। उसका यह प्रश्न सुनकर गुरु महाराज ने यहशब्द कहा:- विसन विसन भण अजर जरीजै लाहो लीजै…

Read Moreशब्द नं 102

शब्द नं 103

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 देख्या अदेख्याः सुण्या असुण्या मूला नाम का एक ब्राह्मण था। उसके कोई संतान नहीं थी। उसने अपनी बहन के पुत्र को पाल-पोष कर बड़ा किया तथा उसे ही अपना पुत्र जान अपना घर-बार, धन-संपत्ति सब कुछ उसे सौंप दिया।वह स्वयं जाम्भोजी के पास रहकर अपना समय भक्ति भाव से काट रहा था। एक बार वह गुरु जी से आज्ञा लेकर अपने घर गया तब उसने वहां अपनी पत्नी एवं भांजे को आपत्तिजनक स्थिति में सोए देखा। अपने घर में,जो…

Read Moreशब्द नं 103

शब्द नं 104

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 कण कंचण दानूं कछू न मानू एक समय दूर देश, बिजनौर का रहने वाला एक धनी बिश्नोई समराथल धोरे पर गुरु महाराज के पास आया। उसने गुरु महाराज के चरणो में छः धडी सोना भेंट चढ़ाया और प्रार्थना की कि वह गुरु महाराज के बतलाये 29 नियमों का पालन करता है, परंतु प्रातः काल स्नान करने का नियम बहुत कठिन है, अतः गुरु महाराज उसे इस स्नान करने के नियम में छूट दें।इसके लिए वह और दान पुण्य कर…

Read Moreशब्द नं 104