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शब्द 93

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *ओम् आद शब्द अनाहद बाणी* एक समय की बात,जोधपुर नरेश राव मालदेव समराथल धोरे पर आये और उन्होंने गुरु जंभेश्वर भगवान के सम्मुख जिज्ञासा प्रकट की कि सृष्टि के आदि काल में कौन देवता उत्पन्न हुआ? मालदेव की जिज्ञासा जान,गुरु महाराज ने उसे यह शब्द कहा:- *ओम आदि सबद अनाहद वांणी चवदै* *भूवन रहया छल पांणी* हे जिज्ञासु! जिस समय यह सृष्टि रची,उससे पहले इस संपूर्ण ब्रह्मांड में एक अनहद-नाद, अनहत ध्वनि,शाश्वत नाद परिव्याप्त था। परमब्रह्म, सदाशिव के उस…

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शब्द नं 94

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सहस्त्र नाम साई भल शिंभू जोधपुर के राव मालदेव ने श्री जंभेश्वर महाराज से प्रसन्न किया कि आदि देव परमात्मा के कितने नाम हैं?वह किन-किन नामों से जाना जाता है? रावजी की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- सहस्र नाम सांई भल सिंभु म्हे उपना आदि मुरारी हें जिज्ञासु! आदि देव परमात्मा के हजारों नाम है। वह सब का स्वामी है। उस मुरारी को किसी ने नहीं बनाया, वह स्वयं अपने आप उत्पन्न हुआ है। वही आदि…

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शब्द नं 95

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 वाद विवाद फिटाकर प्राणी एक ज्योतिषी ने जोम्भोजी से प्रश्न किया कि ज्ञान तो वेद- शास्त्रों पर विचार मंथन करने से तथा शास्त्रार्थ करने से आता है और इस कार्य के लिए कोई जल्दी भी नहीं है। बहुत बड़ी उम्र पड़ी है।अब तो सांसारिक जीवन के सुख भोग का समय है। ज्योतिषी के उपर्युक्त विचार जान, जाम्भोजी ने उसके सम्मुख यह शब्द कहां:- वाद विवाद फिटाकर पिराणी छाड़ो मनहट मन को भाणों हे प्राणी!वाद-विवाद करना छोड। व्यर्थ का तर्क-वितर्क…

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शब्द नं 96

सुंण गुणवंता,सुंण बुधवंता एक बार गोपीचंद,भरथरी और गोरखनाथ समराथल धोरे पर आये और गुरु जंभेश्वर महाराज से सांकेतिक भाषा में पूछा कि वे कौन पुरुष है?उनका ठिकाना क्या है?उनके गुरु कौन हैं? किस उद्देश्य से मानव देह धारण कि है? गुरु महाराज उनके प्रश्नों एवं छिपे व्यंग को जानकर प्रथम तो मन ही मन हँसे और उसके बाद उन्हें यह शब्द कहा:- सुण गुणवतां सूण बुधवंता मेरी उत्पति आद लुहारूं हे गुणवान ! हे बुद्धिमान! सुनो मैं सृष्टि का सृजन…

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