

शब्द 83
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जो नर घोडे चढै पाघ न बांधै* एक बार समराथल धोरे पर विराजमान जाम्भोजी से संत मंडली के लोगों ने योग तथा ज्ञान के विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट की। गुरु महाराज ने अत्यंत प्रसन्न भाव से समझाया कि शुभ कर्म करने तथा हरीभजन से जब मनुष्य का काम, क्रोध एवं अहंकार नष्ट होता है तभी उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।इसी संदर्भ में श्री जंभेश्वर महाराज ने यह शब्द कहा:- *जोर नर घोड़े चढ़े पाग न बांधे…