श्री संतं वील्हा जी कृत बतीस आखड़ी़ छन्द
सेरा उठै सुजीव, छाण जल लीजिये।दांतण कर करे सिनान, जिवाणी जल कीजिये।।1।।बैस इकायंत ध्यान, नाम हरि पीजिये?रवि उगे तेही बार, चरण सिर दीजिये।।2।।गऊ घृत लेवे छाण, होम नित ही करो।पंखे से अग्न जगाय, फूंक देता डरो।।3।।सूतक पातक टाल, छाण जल पीजिये।कर आत्म को ध्यान, आरती कीजिये।।4।।मुख बोली जै साच, झूठ नहीं भाखिये।नेम झूठ सूं जाय, जीभ बस राखिये।।5।।निज प्रसुवा गाय, चूंगती देखिये।मुखां बताइये नांही, और दिस पेखिये।।6।।अमावस व्रत राख, खाट नहीं सोईये।चोरी जारी त्याग, कुदृष्ट न जोईये।।7।।नेम धर्म गुरू कहे,…