

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
” रे मन ख्याली सावल चाली, कावल पांव न दीजै। बार बार समझाऊं तो कूं, हरि भज लाहो लीजै। -(हरजी वणियाल) -भावार्थ-‘ पल-पल में विचार बदलने वाले रे मन! तूं सावधान होकर सुमार्ग पर चल,कुमार्ग पर पांव मत रख। मेरा कहना मानो तो वास्तविक आनंद भगवान के भजन में है।’ 🙏 -(जम्भदास)