सुगरा प्रथा क्या है?

Renu Bishnoi किसी अन्य मत/सम्प्रदाय/पंथ/धर्म के अनुयायीयों को अपने मत/सम्प्रदाय में दीक्षित करने की परम्परा को नाम-दीक्षा, नाम-दान, नाम-लेना आदि के नाम से जाना जाता है। इस प्रक्रिया में एक गुप्त नाम/मंत्र किसी डेरे, आश्रम, मठ, पीठ आदि से संबंधित डेरा प्रमुख, धर्म-गुरु, महंत, पीठाधीष आदि द्वारा उस व्यक्ति को दिया जाकर अपने पंथ में शामिल कर लिया जाता है । और इस विधि से दीक्षित वह व्यक्ति अपने पूर्व मत के धर्म सिद्धान्तों का परित्याग कर उस नवीन मत…

Read Moreसुगरा प्रथा क्या है?

जाम्भाणी संत सूक्ति

परमानन्दजी वणियाल जो करता सोइ भोग्यता, आडो आवत सोय। अपणौ कीयो भोगवै, हरि कूं दोस न कोय। भावार्थ जीव जैसा कर्म करता है वैसा ही उसे फल मिलता है, अपने बुरे कर्मों का फल भोगते समय भगवान को दोष नहीं देना चाहिए।

Read Moreजाम्भाणी संत सूक्ति

🌺 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌺

परमानन्दजी वणियाल विष वेली अपणै कर वाहै,इम्रत फल कैसे पाई।करै जका लेखा हरि मांगै,जदि जीवड़ो पछताई भावार्थ अपने हाथ से जहर की बेल बोई है तो उसके अमृत फल कहां से लगेंगे।जीवन भर पापकर्मों में रत रहने के बाद मरणोपरांत सद्गति की इच्छा करना बेकार है।किये हुए कर्मों का हिसाब जब भगवान लेता है तो पापी जीव बहुत पछताता है।

Read More🌺 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌺

Bishnoi

Protectors of nature, guardians of life

Skip to content ↓