

कवि केशो जी देहड़ू
जीवन काल 1500-1580 अनुमानित हैं ये हजूरी कवि थे।इनकी एक मात्र ही साखी मिलती है।राग सुहब में गेय कणा की साखी है।इसे जुमलै की तीसरी साखी के रूप में मान्यता प्राप्त है।आवो मिलो जुमलै जुलो,सिंवरो सिरजणहारसतगुरु सतपंथ चालिया,खरतर खण्डाधारजम्भेश्वर जिभिया जपो,भीतर छोड़ विकारसम्पति सिरजणहार की,विधिसू सुणो विचारअवसर ढील न कीजिये,भले न लाभे वारजमराजा वांसे वहै, तलबी कियो तैयारचहरी वस्तु न चाखिये, उर पर तंज अंहकारबाड़े हूंता बिछड़ा जारी,सतगुरु करसी सारसेरी सिवरण प्राणीया, अंतर बड़ो अधारपर निंदा पापां सीरे, भूल उठावै…