

Protectors of nature, guardians of life.
Protectors of nature, guardians of life.
यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपने अखंड सौभाग्य (सुहाग), पति के स्वस्थ एवं दीर्घायु होने की कामना के लिए किया जाता है। जो सुहागिन स्त्री प्रातःकाल से ही निर्जला व्रत रहकर संध्याकाल में इस कथा को श्रवण करती है, रात्रि में चंद्रमा को अघ्र्य देकर भोजन ग्रहण करती है, उसको शास्त्रानुसार पुत्र, धन-धान्य, सौभाग्य एवं अतुलयश की प्राप्ति होती है। विधि: यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इसे करने का अधिकार केवल स्त्रियों…
नव्या बिश्नोई d/o Sunita Saharan and Rajkumar Godara Bishnoi S/O श्री इन्द्र सिंह गोदारा गांव गंगवा जिला हिसार हरियाणा We wish you all success, Very soon she will bring glory to the country, Bishnoi samaj, and family.
निवण प्रणाम जी👏29-“लील न ला वै अंग देखत दूर ही भागे”इस नियम के दो अर्थ निकाले जा रहे हैं।लील-खत्म हुआ,मरा हुआ,मासलील-नीला वस्त्रमास खाने वालो के लिए नरक का दरवाजा खुला रहता है।व्यक्ति जिस प्राणी के मांस को खाता है, वे जीवन भर नरकगामी जीवन जीते हैं।सभी जीवों का जीने का हक है इसलिए किसी भी जीव की हत्या नही करनी चाहिए।जो आत्मसुख के लिए अहिसंक जीवो का वध करता है वह इस लोक व परलोक में कही सुखी नही रहता…
श्री गुरु जम्भेश्वरजी ने मूर्ति पूजा के स्थान पर नित्य हवन करने का उपदेश दिया है।सनातन धर्म के मूल वेद है और उनमें यज्ञ का ही विधान निर्धारित किया गया है।सभी के हित के लिए सचेत होकर प्रेम से हवन करो।उसका फल मुक्ति पद की प्राप्ति का होगा।केवल हवन करना ही पर्याप्त नही है हवन के साथ साथ हित, चित और प्रीत की भावना भी जुड़ी हुई होनी चाहिए।ऐसी पवित्र भावना द्वारा किया हुआ कर्तव्य कर्म कभी भी बंधन में…
अग्नि में जलाई जाने वाली लकड़ी को देखकर ही प्रयोग में लेनी चाहिए कही लकड़ी की छाल में कीड़े आदि जीव तो नही है ?दीमक आदि से युक्त लकड़ी को प्रायः प्रयोग में नही लेना चाहिए।थेपड़ियो व कण्डे आदि भी जीव रहित हो,ऐसा निश्चय होने पर ही अग्रि में डाले जाने चाहिए।दूध भी कपड़े से छानकर प्रयोग में लाना चाहिए।आजकल प्रायः प्लास्टिक की छलनी से दूध छानकर प्रयोग में लेने का प्रचलन हो गया है, जो उचित नही है।सूती कपड़े…
क्षमा करने का वास्तविक अर्थ यह है कि हम किसी को बदले की भावना से दुःखी न करें।श्री गुरुजाम्भो जी एक सबद में कहते हैं –“जै कोई आवै हो हो करता आप ज होइये पाणी”–अर्थात अगर कोई क्रोधवश आग-बबूला होकर आता है तो आप क्षमाशील हो जाओ।अगर आपकी किसी के साथ अनबन हो गई है या हो जाये तो सामने वाले के पास जाकर उससे क्षमा याचना करते हुए सुलह कर लेनी चाहिए, यही मानवता है।विपत्ति काल मे धैर्य धारण…
दया का उल्लेख श्रीगुरु जाम्भोजी ने सबदवाणी में अनेक बार किया है।दया को बहुत महत्वपूर्ण मानते हुए उसके पालन का उपदेश दिया है।दया धर्म का पालन परमात्म-प्राप्ति का एक सुगम साधन है।दया एक सात्विक वृति है, वह समता की मूल है।दयाभाव ह्रदय की उदारता का धोतक ओर भेदभाव का भेदक है।एक प्रकार से दया शील का ही अंग है।दया से शरीरस्थ आत्मा बिम्ब रूप में स्पष्ठ होने लगती है।जहाँ दया, प्रेम नही वहा सभी कार्य उल्टे है।जीवदया-पालन एक धार्मिक नियम…
ऐसा कहकर आखड़ी में तेहरवें,चौदहवें,पन्द्रह व सोहलवे नियम का संकेत किया गया है।चोरी नही करनी चाहिए।मनुष्य जिस धन पर लोक-मर्यादा व धर्म -मर्यादा को छोड़कर अधिकार करता है-वह धन उसके पुण्य हरण करता है तथा बुद्धि का नाश करता है।जो मनुष्य पराये धन को मिट्टी के ढेले के समान तुच्छ समझता है वह मनुष्य सच्चे अर्थों में वैष्णव है।पराये धन की चोरी के समान ही समय,वचन व परिश्रम की चोरी भी हानिकारक होती है।परिश्रम से जी चुराकर चालाकी से पैसा…
अपने अवगुणों को छिपाकर दूसरो के अवगुणों को प्रगट करने को सामान्य रूप से नींदा कहा जाता हैं।ऐसे लोगो का यह कर्तव्य कर्म ही हो जाता है कि वह दूसरों के गुणों को छिपाकर केवल उनके अवगुणों को ही चिंतन मनन करता है।इससे उनके दुर्गुण मिट तो नही जाते किंतु व्यक्ति जैसा चिंतन करता है वह स्वभाव में उसके आ जाता है,वैसा ही उसका जीवन बन जाता है।“परनींदा पापा सिरै भूल उठावै भार”-दुसरो की निदा करना शिरोमणि पाप है।मूर्ख लोग…