Lord Shiva

सोमवार (चंद्रमा) : व्रत विधि, कथा एवं आरती

चन्द्रदेव का वर्ण गौर है। इनके वस्त्र, अश्व और रथ तीनों श्वेत हैं। ये सुन्दर रथ पर कमल के आसन पर विराजमान हैं। इनके सिर पर सुन्दर स्वर्ण मुकुट तथा गले में मोतियों की माला है। इनके एक हाथ में गदा है और दूसरा हाथ वर मुद्रा में है। श्रीमद् भागवत के अनुसार चन्द्रदेव महर्षि अत्रि और अनसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरूषस्वरूप भगवान् कहा जाता…

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Hanuman black bg

मंगलवार (मंगल) : व्रत विधि, कथा एवं आरती

मंगल देवता की चार भुजाएँ हैं। इनके शरीर के रोयें लाल हैं। इनके हाथों में क्रम से अभयमुद्रा, त्रिशूल, गदा और वरमुद्रा है। इन्होंने लाल मालाएँ और लाल वस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके सिरपर स्वर्ण मुकुट है तथा ये मेष (भेड़ा) के वाहन पर सवार हैं। वाराह कल्प की बात है। जब हिरण्यकशिपुका बड़ा भाई हिरण्याक्ष पृथ्वी को चुरा ले गया था और पृथ्वी के उद्धार के लिये भगवान् ने वाराहावतार लिया तथा हिरण्याक्ष को मारकर पृथ्वी देवी का…

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Budha graha

बुधवार: व्रत विधि, कथा एवं आरती

बुध पीले रंग की पुष्पमाला तथा पीला वस्त्र धारण करते हैं। उनके शरीर की कान्ति कनेर के पुष्प की जैसी है। वे अपने चारों हाथों में क्रमशः – तलवार, ढाल, गदा और वरमुद्रा धारण किये रहते हैं। वे अपने सिर पर सोने का मुकुट तथा गले में सुन्दर माला धारण करते हैं। उनका वाहन सिंह है। अथर्ववेद के अनुसार बुध के पिता का नाम चन्द्रमा और माता का नाम तारा है। ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा, क्योंकि इनकी बुद्धि…

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Vishnu.1

वीरवार: व्रत विधि, कथा एवं आरती

देव गुरू बृहस्पति पीत वर्ण के हैं। उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुन्दर माला है। वे पीत वस्त्र धारण करते हैं तथा कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनके चार हाथों में क्रमशः – दण्ड, रूद्राक्ष की माला, पात्र और वरदमुद्रा सुशोभित है। महाभारत आदिपर्व एवं तै. सं. के अनुसार बृहस्पति महर्षि अड़िग्रा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ-भाग प्राप्त करा देते हंै। असुर यज्ञ में विघ्र…

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MATARANI

शुक्रवार: व्रत विधि, कथा एवं आरती

दैत्यों के गुरू शुक्र का वर्ण श्वेत है। उनके सिर पर सुन्दर मुकुट तथा गले में माला है। वे श्वेत कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनके चार हाथों में क्रमशः-दण्ड, रूद्राक्ष की माला, पात्र तथा वरदमुद्रा सुशोभित रहती हैं। शुक्राचार्य दानवों के पुरोहित हैं। ये योग के आचार्य हैं। अपने शिष्य दानवों पर इनकी कृपा सर्वदा बरसती रहती है। इन्होंने भगवान् शिव की कठोर तपस्या करके उनसे मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की थी। उसके बल से ये युद्ध में मरे…

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Tallest Statue of the Lord Shani at Shani Dham Jourian

शनिवार: व्रत विधि, कथा एवं आरती

शनैश्चर की शरीर-कान्ति इन्द्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्ण मुकुट गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। ये गीध पर सवार रहते हैं। हाथों में क्रमशः धनुष, बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण करते है। शनि भगवान् सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं। इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नी के शाप के कारण है। ब्रह्मपुराण में इनकी कथा इस प्रकार आयी है- बचपन से…

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