IPS प्रेमसुख डेलू की जीवनकथा

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“भगवान ने वह नहीं दिया जो आपने माँगा, तो समझ लीजिए उसने आपके लिये कुछ और बेहतर चुन रखा है”
“वित्तीय कठिनाइयाँ, आगे बढ़ने की एक प्रेरक शक्ति हैं”
“सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है “
इन सब बातों को सही साबित करती है मेरे लाड़ले स्टूडेंट IPS प्रेमसुख डेलू की जीवनकथा, जिन्होंने 12 सरकारी सेवाओं की परीक्षाएँ दी और सभी में सफल भी हुए लेकिन इससे पहले क्या हुआ था….
IPS प्रेमसुख डेलू बीकानेर जिले के छोटे से गांव रासीसर से है उनके पिता एक किसान थे, परन्तु ज्यादा जमीन नहीं होने के कारण वह ऊंटगाड़ी चलाते थे। प्रेमसुख बताते है कि “मैं बचपन से ही पढ़ाई के साथ, अपने पिता की मदद भी करता था। फिर चाहे वह पशुओं के लिए चारा लाना हो या उनके साथ ऊंटगाड़ी चलाना हो या खेती में हाथ बटाना।”
प्रेमसुख ने गांव के ही सरकारी स्कूल से 10 वीं तक की पढ़ाई की और फिर डॉक्टर बनने का सपना लेकर बीकानेर आ गये ।यहाँ उन्होंने चोपड़ा स्कूल, गंगाशहर से 11-12 वीं पढ़ाई की।मेहनत करने का ज़बर्दस्त जज़्बा उनमें था लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से होने के कारण डॉक्टर बनने के लिये सही मार्ग क्या है ये उन्हें मालूम नहीं था।वास्तव में 11-12 वीं की स्कूली शिक्षा के साथ उन्हें प्री-मेडिकल प्रतियोगी परीक्षा की भी अलग से तैयारी करनी चाहिये थी।
IPS प्रेमसुख 12 वीं की परीक्षा पास करने के बाद प्री-मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिये वर्ष 2004 में मेरे पास आये। मुझे याद है कि फ़िज़िक्स में विशेष रुचि होने के कारण अक्सर वो क्लास के बाद भी काफ़ी देर तक विषय पर चर्चा करते रहते थे।कम समय में अच्छी परफॉर्मेंस देने के बावजूद भी दुर्भाग्यवश RPMT में सफलता से थोड़े से पीछे रह गये।मुझे पूरा विश्वास है कि वे एक प्रयास और करते तो ज़रूर सफल हो जाते लेकिन भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था।
परिवार की आर्थिक स्थिति, उनको इस बात की अनुमति नहीं दे रही थी कि वो मेडिकल शिक्षा पर लम्बा समय ख़र्च कर सके।डॉक्टर बनने का सपना त्याग कर उन्होंने सरकारी सेवा में जाने का निश्चय किया। इसके बाद, उन्होंने महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी, बीकानेर से B.A. करने का फैसला किया। वह इसी यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में M.A. गोल्ड मैडलिस्ट रहे।
उनको पहली सफलता वर्ष 2010 में मिली जब उनकी नौकरी, बीकानेर के ही एक गाँव में पटवारी के तौर पर लगी। लेकिन, यह मात्र उनके सफर की शुरूआत थी। उसी साल, उन्होंने राजस्थान में ग्राम सेवक के पद की परीक्षा में, राज्य में दूसरा रैंक हासिल किया। उन्होंने असिस्टेंट जेलर के पद की परीक्षा में, पूरे राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त किया। इसी साल उन्होंने बीएड किया और इसके बाद वर्ष 2011 में प्राइमरी और सेकण्डरी स्कूल शिक्षक की परीक्षा भी पास की। सेकण्डरी स्कूल शिक्षक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने बीकानेर के कतरियासर गांव में बतौर स्कूल शिक्षक भी काम किया।उनके मित्र बताते है कि शिक्षक के रूप में भी उन्होंने गाँव के बच्चों के लिये बहुत शानदार काम किया है ।
वर्ष 2013 में IPS प्रेमसुख ‘राजस्थान पुलिस’ में सब इंस्पेक्टर और 2014 में NET-JRF की परीक्षा भी पास कर चुके है वर्ष 2014 में ही उन्होंने राजस्थान लोक सेवा (RAS)की परीक्षा पास की। जिसके बाद उन्होंने रेवेन्यू सर्विस ज्वाइन की और तहसीलदार के पद कर काम करने लगे। वो बताते है कि यहाँ पर भी क़िस्मत ने उनका साथ नहीं दिया था “1” रैंक से वे DSP बनते- बनते रह गये जिसका उस समय उनको बहुत दुःख भी हुआ।शायद भगवान को उनके लिये DSP के आगे का D पसंद नहीं था।
इसके एक महीने बाद ही UPSC की परीक्षा थी।आख़िरकार, UPSC-2015 की परीक्षा में, उन्होंने जनरल कैटेगरी में 170 वीं रैंक हासिल की और हिंदी माध्यम से सफल उम्मीदवारों की फेहरिस्त में, तीसरे स्थान पर रहे।अपनी कड़ी मेहनत से प्रेमसुख, साल 2016 बैच के आएपीएस अफसर बन गए।
IPS प्रेमसुख की पहली पोस्टिंग, गुजरात के साबरकांठा जिले में ASP के तौर पर हुई। वर्तमान में प्रेमसुख अहमदाबाद में ज़ोन 7 के DCP है।आज वे भारत के सबसे ज़्यादा चर्चित IPS अधिकारीयों में से एक है, प्रेमसुख की छवि एक बेहद ईमानदार और दबंग IPS अधिकारी की है थोड़े से ही समय में इन्होंने IPS अधिकारी के तौर पर इतनी उपलब्धियाँ हासिल कर ली है कि उनकी चर्चा करना संभव नहीं है इनके बारे में ‘ टाइम्स ऑफ इंडिया ‘ ने लिखा है कि “स्थानीय गुंडों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपनी तेजतर्रार छवि के कारण अहमदाबाद शहर के नवनियुक्त डीसीपी जोन -7 प्रेमसुख डेलू, शहर के IPS अधिकारियों और पुलिस बल के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं “ अख़बार आगे लिखता है कि “डेलू ने बोला तो फाइनल” आज शहर के पुलिसबल की टैगलाइन है।
भगवान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो जो करता है वो आपकी सोच से कहीं ज़्यादा बेहतर होता है बस ज़रूरत है उस पर विश्वास की।
UPSC में सफल होने के बाद IPS प्रेमसुख वर्ष 2015 में मिलने के लिये मेरे पास आये थे। मुझे याद उस समय तहसीलदार के पद पर होते हुए भी वो हवाई चप्पल में थे, शायद ये सादगी ही उनकी सफलता का कारण है उन्होंने बताया कि सर “नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई पर ध्यान देना काफी कठिन था, लेकिन मैं बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं करता था।” प्रेमसुख ने एक बात और कही कि “सर अगर हमारी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती तो मैं आज इस मुक़ाम पर नहीं पहुँच पाता”
मैंने पूछा आपको याद है, आपकी फ़िज़िक्स में विशेष रुचि थी ? तब प्रेमसुख ने बताया कि सर प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा में तर्क क्षमता पर आधारित प्रश्न आते है फ़िज़िक्स भी तर्क आधारित विषय है फ़िज़िक्स का फ़ायदा मुझे हर परीक्षा में मिला।यहाँ तक की UPSC के साक्षात्कार में भी मुझे इसका फ़ायदा मिला।इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया “मैंने अपनी हर एक परीक्षा और नौकरी से बहुत कुछ सीखा है। पटवारी के पद पर रहते हुए, मुझे जमीन विवाद संबधी जानकारी मिली। वहीं मैं स्कूल और कॉलेज में पढ़ाते हुए, सामान्य लोगो के जीवन की समस्याओं को जान सका।”
स्टूडेंट के लिये भी प्रेमसुख ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि “ जब आप असफल हो जाते हो तो अपनी कमियों को छुपाये नहीं बल्कि उस पर चर्चा करें, मंथन करें।कमियों को छुपाकर आप सहानुभूति तो प्राप्त कर सकते है लेकिन सफलता नहीं “
वे अपने पिताजी की मेहनत और त्याग को ही अपनी सफलता का मूल कारण मानते है IPS प्रेमसुख नक्षत्र का वह सितारा है जो न कभी थकेगा ….. न कभी रुकेगा।ऐसे व्यक्तित्व का गुरु होना गर्व की अनुभूति कराता है यह जीवनकथा उन विद्यार्थियों के लिये संजीवनी है जो किसी कारणवश परीक्षा में सफल नहीं हो सके ।
आज पुनः IPS प्रेमसुख से मुलाक़ात हुई तो अपने आप को लिखने से रोक नहीं सका ।

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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