पहला शब्द : आर्टिफिशल इंटेलिजेंस द्वारा लिखित

English: The first Shabad is, “Om Guru chinhi, Guru chinhi purohit,” which means, “Recognize the Guru, for the Guru is your true priest.” This teaching emphasizes that the most important step on the spiritual path is to find and acknowledge a true Guru (Satguru). The Guru is the one who performs the ultimate ceremony: guiding your soul (Atma) to merge with the divine (Parmatma). They are the ones who can remove your doubts, show you the true path, and help you attain liberation (Moksha) from the cycle of birth and death. Relevance in Modern Life: In today’s world, we are flooded with information, opinions, and distractions. This Shabad teaches us the importance of seeking a true mentor or guide. This doesn’t have to be a spiritual master in a traditional sense; it can be a teacher, a mentor, or any wise person who provides clarity, wisdom, and ethical guidance. In an age of confusion, finding a reliable “Guru” to guide your moral and intellectual compass is more crucial than ever to lead a purposeful and enlightened life.

हिन्दी: पहला शब्द है, “ॐ गुरु चिन्हि, गुरु चिन्हि पुरोहित,” जिसका अर्थ है, “गुरु को पहचानो, क्योंकि गुरु ही तुम्हारा सच्चा पुरोहित है।” यह शिक्षा इस बात पर जोर देती है कि आध्यात्मिक मार्ग पर सबसे महत्वपूर्ण कदम एक सच्चे गुरु (सतगुरु) को खोजना और उसे पहचानना है। गुरु ही वह है जो अंतिम अनुष्ठान करता है: आपकी आत्मा को परमात्मा से मिलाने का मार्गदर्शन करना। वही आपके संदेह को दूर कर सकते हैं, आपको सच्चा मार्ग दिखा सकते हैं, और आपको जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता: आज की दुनिया में, हम सूचनाओं, विचारों और विकर्षणों से घिरे हुए हैं। यह शब्द हमें एक सच्चे गुरु या मार्गदर्शक की तलाश के महत्व को सिखाता है। यह पारंपरिक अर्थों में कोई आध्यात्मिक गुरु ही हो, यह आवश्यक नहीं; यह एक शिक्षक, एक सलाहकार, या कोई भी ज्ञानी व्यक्ति हो सकता है जो स्पष्टता, ज्ञान और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। भ्रम के इस युग में, अपने नैतिक और बौद्धिक दिशा-निर्देश के लिए एक विश्वसनीय “गुरु” खोजना एक उद्देश्यपूर्ण और प्रबुद्ध जीवन जीने के लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

मारवाड़ी: पेलो शब्द है, “ॐ गुरु चिन्हि, गुरु चिन्हि पुरोहित,” जिण रो मतलब है, “गुरु ने ओळ्खानो, क्यूंकि गुरु ही थारो साचो पुरोहित है।” आ सीख इण बात पर जोर देवे है के भगवान रे मारग पर सबसूं जरूरी काम एक साचा गुरु (सतगुरु) ने खोजणो अर उणने ओळ्खाणो है। गुरु ही वो है जिको आखरी काम करे है: थारी आत्मा ने परमात्मा सूं मिलावण रो मारग बतावे है। वे ही थारा भ्रम दूर कर सके है, थाने साचो मारग दिखा सके है, अर थाने जन्म-मरण रा चक्कर सूं मुक्ति (मोक्ष) दिलावण में मदद कर सके है। आज रे जीवन में महत्व: आज री दुनिया में, आपां हर तरफ सूं बातां, विचारां अर ध्यान भटकावण वाळी चीजां सूं घेर्योड़ा हां। ओ शब्द आपां ने एक साचा गुरु या मारग बतावण वाळा ने खोजण री सीख देवे है। ओ जरूरी कोनी के वो कोई पारंपरिक आध्यात्मिक गुरु ही होवे; वो कोई शिक्षक, कोई सलाहकार, या कोई भी स्याणो आदमी हो सके है जिको आपां ने साची समझ, ज्ञान अर सही-गलत रो मारग बतावे। इण भ्रम रे जमान में, आपणा जीवन ने एक मकसद देवण अर सही तरीका सूं जीवण सारू एक भरोसेमंद “गुरु” खोजणो पैला सूं भी ज्यादा जरूरी है।


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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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