बिश्नोई महासभा की क़लम से

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ज़िंदगी भी एक अनजान किताब जैसी है

अगले पन्ने पर क्या लिखा है

किसी को नहीं पता

एक क़लम से सत्य को चरितार्थ करती हुई बिश्नोई महासभा की क़लम से

स्वर्गीय चौधरी हरिगाराम जी ढाका समाज के प्रथम पच थे जिन के नेतृत्व में जाभाणी एक संगठित और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ती थी जिन के वचन बहुमूल्य थे समाज निर्णायक फ़ैसले को सर्वोपरि समझती थी समाज की एकता अखंडता निराली थी न ही बुजुर्ग लोगों के भाव आज देखने को मिलते हैं क्या प्यार था समाज का छोटी मोटी बातों को पैरों तले कुचल देते थे और आगे बढ़ते थे जाभाणी ये एक पवित्र संगम था जिसका मिलन समारोह जहाँ भी होता था देखने लायक होता था लोगों की क़तार लगती थी शाम के वक़्त पूजा अर्चना मैं सुबह सुबह धोते की आवाज़ आती थी तब पता लगता था कि लोग नहाने शुरू हो गई है अद्भुत दृश्य था अद्भुत एक साथ ही अद्भुत निर्णय थे चौधरी ढाका स्वर्गीय हरिवंश हरिगा राम जी निर्णायक फ़ैसला निर्णायक विचारों के साथ निर्णायक सोच के साथ आधारशिला रख देती थे कोई अंगुली नहीं उठाते थे समाज हाई कोर्ट का निर्णय फाइनल मानती थी और हाई कॉल चौधरी हरिगा राम जी थे उस वक़्त फलौदी लोहावट आऊ एक ही पंचायत होती थी और उसी पंचायत में एक पंचायत सरपंच होता था जिसमें सर्वसम्मति के द्वारा चौधरी हरिगा राम जिस सरपंच नियुक्त हुए सन दो अक्टूबर को 1952 से 1959तक फलौदी बाप और लोहावट एक साथ हुआ करता था उस वक़्त तसील सरपंच हुआ करते थे चौधरी प्रथम बार सरपंच निर्वाचित हुई एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू नागौर में पंचायती राज की स्थापना समारोह में एक समारोह का आयोजन हो रहा था चौधरी साहब हरिगा राम जी अन्य जनप्रतिनिधि अपने गाड़ी में नागौर जा रही थे गोगो लाओ भाटापारा दुर्घटना हुई चौधरी साहब गंभीर घायल हो गए ये इन जूरी के कारण कोमा में चले गए महात्मा गांधी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया दो माह तक कोमा में रही बाद होश आया तो समाज का जमावडा लगना शुरू हो गया है चौधरी साहब से मिलने के लिए और भारत की हस्तियां वहाँ पहुँची क्योंकि चौधरी साहब मारवाड़ धरा किए जाने माने सर्वोपरि लोगों में से एक थी आज उनकी एक प्रतिमा लगाने के लिए इंतज़ार कर रही है हमें सोचना चाहिए आज एक ही विषय विचाराधीन पड़ा है उस विषय पर कोई चर्चा नहीं कोई निर्णायक फ़ैसला लेने वाला नहीं कोई बात रखने वाला नहीं दुख होता है जब ऐसी बातें सामने आती है समाज के सर्वोपरि इतने बड़े जनादेश का प्रथम सरपंच आज जिला बन गया है फलौदी उस वक़्त तो फलौदी लोहावट और आऊ बाप इतने बड़े क्षेत्र में प्रथम सरपंच रह कर नेतृत्व किया क्या हम उस महान आत्मा की एक प्रतिमा लगाने से कतरा रहे हैं आज शहरों में 1 प्रोफ़ेसर एक समाजसेवी और एक विधायक या MLA की प्रतिमा लग सकती है तो फिर इस महान समाजसेवी स्वतंत्रता सेनानी और जाभाणी पंचायती के पच रहे चौधरी स्वर्गीय हरिगाराम जी की प्रतिमा आधा जुल में क्यों पड़ी है क्या कारण हैं और कारण घोषित करने के लिए इस महापुरुष को जन्म लेना पड़ेगा समाज की पहुँच बहुत ऊँचे तक है और समाज सम्पूर्ण साथ में है फिर भी ऐसे महान शख़्सियत के बारे में कोई विचार नहीं करता अपनी राजनीति में भाग दौड़ लगा रही है अपने विचारों में खोई वे हैं परंतु हमारी पूर्व की हस्ती उनका यशगान धीरे धीरे समाप्ति की ओर जा रहा है क्या हमें हमारे पूर्वजों के ऊपर गर्व नहीं है यदि कार में है तो तत्कालीन पूर्व सरपंच मारवाड़ धरा के पच चौधरी स्वर्गीय हरिगा रामजी ढाका की प्रतिमा का मुद्दा उठाया जाए और निर्णायक फ़ैसले के साथ फलौदी में स्थापित की जाए तब समाज की धरोहर को याद किया जा सकता है समाज की सशक्तीकरण को याद किया जा सकता है और समाज की गरिमा को पुनर्जीवित करने के लिए एक नया उदाहरण दुनिया को और युवा पीढ़ी को प्राप्त हो सकता है नहीं तो धीरे धीरे युवा पीढ़ी के अंदर से ये नाम लुप्त हो जाएँगे और पंच पंचायती का समय था था आज लोकतंत्र है लोकतंत्र में हमारे पूर्वजों की यादें ताज़ा करना अगली पंक्ति में विराजमान लोगों को जागना होगा और मारवाड़ समाज को एक संदेश देना होगा कि ऐसे भी लोग होते थे जिन्हें गवर्नमेंट की कोई ज़रूरत नहीं थी जो फ़ैसला सुनाते थे सर्वमान्य होता था और समाज उसका अनुसरण करती थी समाज उसका पालन करती थी भली भाँति पालन करती थी और समाज के अंदर ही छोटी मोटी बातों का निर्णय हो जाता था थाना में या पुलिस बल की ज़रूरत नहीं थी क्या सुंदर दृश्य था क्या सुंदर निर्णय था क्या सुन्दर नेतृत्व था ऐसे महानायक का अनुसरण करने के लिए आज एक प्रतिमा की आवश्यकता है मैं आपसे विनम्र निवेदन और आग्रह करता हूँ मेरी क़लम के द्वारा यह समाचार समाज के कोने कोने तक पहुँच जाने चाहिए ।

हरिंगाराम जीं के साथ साथ खम्मूराम जीं गीला , प्रहलाद जीं डारा , भारमल जीं उदाणी ,अर्जुन जीं जाणी खेतेलाई , हरुराम जीं सियाक चाडी , जीवण जीं गोदारा कानासर , वरिंगाराम जीं सारण बागाणी भोजासर,बगड़ूराम जगुआणी एवं इन पंचों के साथ-साथ जाम्भा महंत कोशल दास जीं एवं महंत रणछोड़ दास जीं अन्य कई पंच होते थे ।

श्री देवेंद्र जी ,राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा

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Sanjeev Moga
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