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डा. कृष्ण कुमार जौहर दयानंद पी.जी. कॉलेज, हिसार
पांच दशक तक राष्ट्रीय राजनीति में छाये रहे चौधरी भजनलालजी की राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न
सोपानों से होकर गुजरी है। स्वतंत्र भारत में शायद ही ऐसा कोई राजनेता हो जिसने लोकतंत्र की छोटी से छोटी इकाई से अपनी यात्रा आरंभ की हो और बड़ी से बड़ी इकाई को भी छुआ हो। चौधरी भजनलाल जी एकमात्र ऐसे राजनेता थे जिन्होंने लोकतंत्र में इतने पर्दोको सुशोभितकिया था।
चौधरी भजनलाल जी की राजनैतिक यात्रा सन् 1960 में पंचायत के पंच पद से शुरू हुई। वे ग्राम पंचायत आदमपुर के लिए पंचचुने गए।
1961 में हिसार ब्लाक-2 के लिए जिला परिषद् सदस्य चुने गये। 1965 में हिसार ब्लाक-2 के चेयरमैन बने तथा 4 वर्षों के लिए कांग्रेस के हिसार मंडल के प्रधान बने। 12 व 14 मई, 1968 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौधरी भजनलाल कांग्रेस की टिकट लेकर पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में आए तथा 23723 मत लेकर 10044 मतों से विजयी हुए। इस चुनाव में आजाद प्रत्याशी कैप्टन बलराजसिंहको 13679 मत प्राप्त हुए। चौधरी भजनलालजी विधायक बनने के बाद 1970 से 1975 तक हरियाणा मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री रहे। 11 मार्च, 1972 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी भजनलाल जी ने 28928 मत लेकर चौधरी देवीलाल को 10968 मतों से पराजित कर दिया। चौधरी देवीलाल को 17960 मतों से संतोष करना पड़ा। 12 जून, 1977 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी चौधरी भजनलाल जी 33193 मत प्राप्त कर 20803 मतों से विजयी रहे और तीसरी बार विधायक बने। आजाद प्रत्याशी श्री मोहरसिंह को 12390 मत मिले। 1978-79 में सहकारिता, डेयरी विकास, पशुपालन, श्रम व रोजगार तथा वन मंत्री बने। 28 जून, 1979 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 19 मई, 1982 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी चौधरी भजनलाल ने 42227 मत लेकर लोकदल प्रत्याशी श्री नरसिंह बिश्नोई को 24712 मतों से पराजित किया। श्री नरसिंह बिश्नोई को 17515 मत प्राप्त हुए।
23 मई, 1982 को दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तथा इस पद पर 5 जून, 1986 तक बने रहे। 2 अगस्त, 1986 को संसद (राज्यसभा) के सदस्य चुने गये तथा 21 अक्टूबर 1986 को केन्द्र सरकार में पर्यावरण तथा वन मंत्री तथा 14 फरवरी, 1988 को कृषि मंत्री बने और इस पद पर 1 दिसम्बर, 1989 तक बने रहे। नवम्बर, 1989 में फरीदाबाद निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर लगभग 1,37,000 वोटों से जीतकर पहली बार लोकसभापहुंचे। 20 मई, 1991 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी भजनलाल ने 48117 मत लेकर मास्टर हरिसिंह को 31596 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में मास्टर हरिसिंह को 16521 मत मिले। 24 जून, 1991 को तीसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 8 मई 1996 तक इस पद पर सेवा प्रदान करते रहे। 28 अप्रैल, 1996 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौधरी भजनलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 54140 मत प्राप्त करके श्री सुरेन्द्र सिंह को 20007 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में हवि.पा. प्रत्याशी श्री सुरेन्द्र सिंह को 34133 मतप्राप्त हुए।
2 मार्च, 1998 को करनाल निर्वाचन क्षेत्र से संसद (लोकसभा) के सदस्य चुने गए। इस चुनाव में चौधरी भजनलाल ने
327750 मतप्राप्त करके 152061 मतों से श्री आई.डी. स्वामी को पराजित किया।
1999 के लोकसभा चुनाव में कारगिल युद्ध के कारण बी.जे.पी. के पक्ष में लहर थी। इसलिए चौधरी भजनलाल कांग्रेस
प्रत्याशी के रूप में करनाल से विजय कायम नहीं रख पाये।
22 फरवरी, 2000 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांगेस प्रत्याशी चौधरी भजनलाल ने 63174 मत प्राप्त करके
प्रो. गणेशी लाल को 46057 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में प्रो. गणेशी लाल को मात्र 17117 मत मिले।
10 मार्च, 2000 को हरियाणा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने।
01.08.2002 को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
फरवरी, 2005 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी भजनलाल जी रिकार्ड जीत हासिल करते हुए 86963 मत प्राप्त करके इनेलो पार्टी के प्रत्याशी श्री राजेश गोदारा को 71081 मतों से पराजित कर दिया। इस चुनाव में श्री राजेश गोदारा को मात्र 15882 मत मिले। 2 दिसम्बर,2007 को हरियाणा जनहित कांगेस (बीएल) का गठन चौधरी भजनलालजी के संरक्षण में हुआ। हरियाणा विधानसभा आदमपुर के 2008 के उपचुनाव में 26000 से अधिक वोटों से जीते। मई,2009 के लोकसभा चुनाव में हिसार से सांसद बने। इसके अतिरिक्त 17 जून, 1987 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौधरी भजनलालजी की धर्मपत्नी श्रीमती जसमां देवी, कांग्रेस प्रत्याशी ने 41152 मत प्राप्त करके धर्मपाल सरसाना को9272 मतों से पराजित कर दिया। इस चुनाव में श्री धर्मपाल सरसानाको31880 मतप्राप्त हुए।
उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री चन्द्रमोहन भी कालका विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक चुने गये हैं तथा हरियाणा के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनके छोटे पुत्र श्री कुलदीप बिश्नोई ने 1998 के उपचुनाव में आदमपुर से और 2004 के लोकसभा चुनाव में भिवानी संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज की थी। श्री कुलदीप बिश्नोई वर्तमान विधानसभा में भी आदमपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
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