शब्द नं 73
हरि कंकहडी मंडप मेडी़ एक समय एक बिश्नोई भक्त ने समराथल पर आकर गुरु जंभेश्वर महाराज से कहा कि उसने एक ऐसा योगी देखा है जो पत्थर की एक बहुत बड़ी सिला को हिला देता है। गुरु महाराज बतलावे कि उसके पास इतनी ताकत एंव करामात कहां से आई ? वह कितना बड़ा योगी है? आगंतुक का प्रसन्न जान जाम्भोजी ने उसे यह शब्द कहा:- हरी कंकैड़ी मंडप मैड़ी जहां हमारा वासा हे जिज्ञासु! तुम देख रही हो यह हरा…