

सबद-49 ओ३म् अबधू अजरा जारले, अमरा राखले
दोहा : जोगी सतगुरु यूं कहै, वाता तणा विवेक। सतगुरु हमने भेटियों, दर्षन किया अलेख। वह जोगी दूत बनकर आया था, , कहने लगा-हे महाराज! वे हमारे लक्ष्मण नाथ तो बड़े विवेकी है। उन्होंने हमें ज्ञान बताया है। इसलिये हमने सतगुरु परमात्मा का दर्शन कर लिया है। तब गुरु जाम्भोजी ने सबद द्वारा इस प्रकार से बतलाया। सबद-ओ३म् अबधू अजरा जारले, अमरा राखले, राखले बिन्द की धारणा। पताल का पानी आकाश को चढ़ायले, भेंट ले गुरु का दरशणा। भावार्थ- हे…