Sanjeev Moga

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IAS परी बिशनोई ऑलइंडिया रैंक 30

“बधाई थानै घणी बधाई, बिटिया परी बणी आईएएस” परी बिश्नोई हम सब प्रसन्न है, नाम बिश्नोई पंथ का रोशन है। बधाई थानै घणी घणी बधाई, शानदार उपलब्धी तूने पाई।। माँ श्रीमती सुशीला बिश्नोई, जगत में तुमसा नहीं कोई। गौत्र डेलू शिरोमणी बिश्नोई, बेटी परी जैसा नहीं है कोई।। बिश्नोई हार्दिक शुभकामना है, होना खुशहाली से सामना है। सीआई जीआरपी अजमेर है, ये बेटी देश भर में सिरमोर है।। भारतीय प्रशासनिक सेवा में, चयन भारत माँ की सेवा मे। आईएएस बनी…

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बिशनोई पंथ का मूल उद्देश्य

श्री गुरु जम्भेश्वरजी ने जिस पंथ की स्थापना की थी उसका मूल उद्देश्य क्या था और आज हम उस पंथ को कहा तक चला पाए यानी कि उसकी सँभाल किस तरह कर रहे हैं। पंथ का मूल उद्देश्य है कि जिया न जुक्ति ओर मुआ न मुक्ति देना। जुक्ति मतलब जीने की कला,जीने का सही ढंग,इस तरीके से जीवन यापन करने का सरल राह दिखाया और मरने उपरांत चौरासी लाख योनिया के बंधन से मुक्ति करना। जीवन जीने की राह…

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शब्द 56

कुपात्र कू दान जु दीयों जाणे रैण अंधेरी चोर जु लीयो* कुपात्र को दिया गया दान जैसे अंधेरी रात मैं चोर द्वारा चुराये गये धन के समान है *चोर जु लेकर भाखर चढ़ियो* *कह जीवड़ा तै कैने दीयों* कुपात्र उन चोरों के समान है जो सामान चुराकर पहाड़ों में छुप गया हो उसको दिये गये दान का फल नहीं मिलता है हे जीव बता तूने दान किसको दिया है *दान सुपाते बीज सुखेते* *अमरत फूल फलीजे* अतःदान सदैव सूपत्रों को…

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शब्द 57

*अति बलदानों सब स्नानो* सैंसे भगत के पुत्र ने गुरु जंभेश्वर महाराज से अति विनम्रता के साथ दास्य भाव की भक्ति के अनुरूप प्रार्थना की कि गुरु महाराज पतित पावन है, सबके स्वामी है तथा वह स्वय अति मंदबुद्धि पापियों में सिर मोर तथा स्वर्ग प्राप्ति के रास्ते से विमुख चलने वाला है।अतः गुरु महाराज कृपा कर उसका उद्धार करें।सैंसे पुत्र की प्रार्थना सुन गुरु महाराज ने जमाती लोगों के सम्मुख उसे यह शब्द कहा:- *अति बल दानों सब स्नानो…

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शब्द 58

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *तउवा माण दुरर्योधन माण्यां* गुरु जंभेश्वर द्वारा पूर्व शब्द का सुनकर जमाती लोगों के मन में यह संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या इस संसार से पार होना इतना कठिन है उन्होंने गुरु महाराज से जिज्ञासा प्रकट की कि क्या चार युगों में इस जन्म मरण के चक्कर से कोई जीव मुक्त हुआ है या नहीं?भक्त-जनों की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने यह शब्द कहा:- *तउवा माण दुर्धोधन माणया अवर भी माणत माणु* राज्य एवं धन दौलत के कारण मान…

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आचार विचार और शब्दवाणी

निवण प्रणाम जी👏 आज की चर्चा अपने आचार-विचार व्यवहार को लेकर हैैं। कुड़ तणो जे करतब कियो ना तै लाभ न सायो भूला प्राणी आल बखाणी झूठ का सहारा लेकर तुम यदि कोई भी कार्य करोगे तो उससे तुम्हे कोई प्राप्ति नही होगी। हे भूले हुए प्राणियों जो तुम व्यर्थ ही झूठ का सहारा ले रहे हो वह छोड़ दो इसमे तुम्हे कोई लाभ नही मिलेगा। जे नवीये नवणी खविये खवणी जरिये जरणी करिये करणी सिख हुआ घर जाइये जो…

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शब्द 59

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *पढि कागल वेदूं सासतर शब्दूं* जमाती लोगों ने गुरु जांभोजी महाराज से पूर्व शब्द में यह जानकर कि किस युग में कितने लोग बैकुंठ धाम पहुंचे,पुनः प्रश्न किया कि वेद शास्त्र पढ़ने,सुनने एवं उनका चिंतन करने का का क्या महत्व है?गुरु महाराज ने जमाती भक्तों की जिज्ञासा जान उन्हें यह शब्द कहा:- *पढ़ कागल वेदूं शास्त्र सबदूं भूला भूले झंख्या आलू* हे जिज्ञासु। विभिन्न पुस्तकों का पढ़ना,वेद शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करना,शब्दों का पाठ करना, ये सब तब तक…

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शब्द 60

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *एक दुःख वखमण बंधू हईयौं* श्री जाम्भोजी महाराज के जमाती भक्तजनों में महापुरुषों के जीवन में आने वाले संसारिक दुःख की चर्चा चल रही थी। भक्तजनों ने जब गुरु महाराज से इस संबंध में जानना चाहा तब श्री जम्भेश्वर भगवान ने त्रेतायुग में रामावतार के समय राम पर पड़ने वाले दुःख का उदाहरण देते हुए समझाया कि संसार में दुःख है और अवतारी पुरुष भी जब मानववोचित व्यवहार करते हैं, तब उन्हें भी दुःख में व्यथित होते हुए देखा…

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