Sanjeev Moga

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आचार विचार और शब्दवाणी

निवण प्रणाम जी👏 आज की चर्चा अपने आचार-विचार व्यवहार को लेकर हैैं। कुड़ तणो जे करतब कियो ना तै लाभ न सायो भूला प्राणी आल बखाणी झूठ का सहारा लेकर तुम यदि कोई भी कार्य करोगे तो उससे तुम्हे कोई प्राप्ति नही होगी। हे भूले हुए प्राणियों जो तुम व्यर्थ ही झूठ का सहारा ले रहे हो वह छोड़ दो इसमे तुम्हे कोई लाभ नही मिलेगा। जे नवीये नवणी खविये खवणी जरिये जरणी करिये करणी सिख हुआ घर जाइये जो…

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शब्द 59

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *पढि कागल वेदूं सासतर शब्दूं* जमाती लोगों ने गुरु जांभोजी महाराज से पूर्व शब्द में यह जानकर कि किस युग में कितने लोग बैकुंठ धाम पहुंचे,पुनः प्रश्न किया कि वेद शास्त्र पढ़ने,सुनने एवं उनका चिंतन करने का का क्या महत्व है?गुरु महाराज ने जमाती भक्तों की जिज्ञासा जान उन्हें यह शब्द कहा:- *पढ़ कागल वेदूं शास्त्र सबदूं भूला भूले झंख्या आलू* हे जिज्ञासु। विभिन्न पुस्तकों का पढ़ना,वेद शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करना,शब्दों का पाठ करना, ये सब तब तक…

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शब्द 60

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *एक दुःख वखमण बंधू हईयौं* श्री जाम्भोजी महाराज के जमाती भक्तजनों में महापुरुषों के जीवन में आने वाले संसारिक दुःख की चर्चा चल रही थी। भक्तजनों ने जब गुरु महाराज से इस संबंध में जानना चाहा तब श्री जम्भेश्वर भगवान ने त्रेतायुग में रामावतार के समय राम पर पड़ने वाले दुःख का उदाहरण देते हुए समझाया कि संसार में दुःख है और अवतारी पुरुष भी जब मानववोचित व्यवहार करते हैं, तब उन्हें भी दुःख में व्यथित होते हुए देखा…

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शब्द नं 61

कै तें कारण किरिया चूक्यो दशरथ पुत्र लक्ष्मण के राम-रावण युद्ध में शक्ति बाण लगने और राम द्वारा विलाप संबंधी शब्द को सुनकर जमाती लोगों ने जिज्ञासा प्रकट की कि ऐसे कौन से कदाचार है, जिसके कारण महापुरुषों को भी कष्ट भोगने पड़े हैं? भक्त जनों की जिज्ञासा जान गुरु महाराज ने उस प्रसंग को याद करते हुए लक्ष्मण की चेतना लौट आने पर राम ने जो प्रश्न लक्ष्मण से पूछे,उन्हीं प्रश्नों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए यह शब्द कहा:-…

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शब्द नं 62

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 पूर्व प्रसंग के शब्द में श्रीराम द्वारा पूछे गए प्रश्नों के संबंध में जो उत्तर लक्ष्मण जी ने दिए उन्हीं का उल्लेख करते हुए गुरु महाराज ने जमाती भक्तजनों को यह शब्द कहा:- ना मैं कारण किरिया चुक्यो ना मैं सूरज सामों थूक्यों श्री राम द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर मैं लक्ष्मण ने कहा कि उन से कभी नित्य क्रिया कर्मों के पालन मे कोई भूल चूक नहीं हुई। न उन्होंने कभी सूर्य की ओर मुंह करके अपमान…

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शब्द नं 63

आतर पातर राही रुखमणि एक समय की बात मालवा प्रदेश के कुछ बिश्नोई व्यापारी व्यापार के लिए चित्तौड़ पहुंचे। राजकर्मचारियों ने उन से कर माँगा। बिश्नोईयों ने यह कह कर देने से इनकार कर दिया कि जाम्भोजी के शिष्य बिश्नोई है तथा जोधपुर, जैसलमेर,नागौर एंव बीकानेर राज्यों में बिश्नोईयों से कर नहीं लिया जाता।अतः वे कोई कर नहीं देंगे।इस बात पर विवाद बढ़ा तो बिश्नोईयों ने वहाँ अनशन कर दिया।राजा रानी स्वयं उपस्थित हुए तथा बिश्नोईयों से कहा कि वे…

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शब्द नं 64

मैं कर भुला माण्ड पिराणी शब्द की शेष व्याख्या से आगे जीवर पिंड बिछोवो होयसी ता दिन दाम दुगाणी जिस दिन यह जीव इस शरीर से बिछुड़ जाएगा,उस दिन यह सारा सांसारिक धन वैभव इसके लिए पराया हो जाएगा।आज जिन संबंधियों एवं धन-दौलत पर इसका विश्वास टिका हुआ है,उस दिन ये सब इसके रती-पाई भी काम नहीं आएँगे। आड न पैकों रति बिसोवो सीजे नाही ओ पिंड काम न काजू उस माया से पाई भर या रति भर भी मदद…

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शब्द नं 65

तउवा जाग ज गोरख जाग्या जैसलमेर के राजा जैतसिंह ने जांभोजी महाराज से कहा कि वह उनके लिए एक पत्थरों का मंदिर बनाना चाहता है, परंतु उसके पिता की इस में रुचि नहीं है।गुरु महाराज ने जैतसिंह एवं उसके पिता की इच्छा जान उन्हें यह शब्द कहा:- ओउम तउवा जाग जु गोरख जाग्या निरह निरंजन निरह निरालम्ब नर निहंचल नरलेपनूं नर निरहारी जुग छतीसो एकै आसन बैठा बरत्या ओर भी अवधु जागत जागूं हे जिज्ञासु भक्त जनों!योग की साधना तो…

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