

करवाचौथ व्रत कथा
यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपने अखंड सौभाग्य (सुहाग), पति के स्वस्थ एवं दीर्घायु होने की कामना के लिए किया जाता है। जो सुहागिन स्त्री प्रातःकाल से ही निर्जला व्रत रहकर संध्याकाल में इस कथा को श्रवण करती है, रात्रि में चंद्रमा को अघ्र्य देकर भोजन ग्रहण करती है, उसको शास्त्रानुसार पुत्र, धन-धान्य, सौभाग्य एवं अतुलयश की प्राप्ति होती है। विधि: यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इसे करने का अधिकार केवल स्त्रियों…