

रविवार: व्रत विधि, कथा एवं आरती
सूर्यदेव की दो भुजाएँ हैं, वे कमल के आसन पर विराजमान रहते है ; उनके दोनों हाथों में कमल सुशोभित हैं। उनके सिर पर सुन्दर स्वर्ण मुकुट तथा गले में रत्नों की माला है। उनकी कान्ति कमल के भीतरी भाग की-सी है और वे सात घोड़ों के रथ पर आरूढ़ रहते हैं। सूर्य देवता का नाम सविता भी है, जिसका अर्थ है- सृष्टि करने वाला ‘सविता सर्वस्य प्रसविता’ । ऋग्वेद के अनुसार आदित्य-मण्डल के अन्तःस्थित सूर्य देवता सबके प्रेरक, अन्तर्यामी तथा परमात्मस्वरूप…