
जाम्भाणी संत सूक्ति
” तुंही सांम सधीर,धर अंबर जण धरियो।तरे नाम गजराज,ध्रुव पहळाद उधरियो।परीखत अमरीख पर,भगतां पर पाळे।संखासर संघार,वेद तैं ब्रह्मा वाळे।सुर परमोधण तारण संतां,वरण तूझ अवरण वरूं।उबारियो अलू आयो सरण,जै ओं देव झांभेसरूं।-(अल्लूजी कविया) भावार्थ ‘ धरती और आकाश को धारण करने वाले हे भगवन!आपके नाम के प्रताप से गजेन्द्र, ध्रुव, प्रहलाद,परिक्षित,अंबरीश तर गए।असुरों का संहार करने,ब्रह्माजी को वेद प्रदान करने, देवताओं को आल्हादित करने एवं संतों का उद्धार करने वाले भगवन इस बार आप जम्भेश्वर अवतार के रूप में आए हैं,…

मां
रूंखा तणो निवास जठे जीव दया री जाण जठे। पर्यावरण री ओलखाण विश्नोई पहचाण बठे ।। मां हमेशा अपने बच्चों का ख्याल रखती है और उनकी हर जरूरतों को पूरा करने में अपनी जान लगा देती है। आज हम आपको ऐसी माओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो हिरण को बिल्कुल अपने बच्चे की तरह पालती हैं और बचपन से लेकर बड़े होने तक उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखती हैं।सुनने में ये आपको अजीब सा लगेगा…

शब्द 76
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *तन मन धोईये -संजम होइये* अजमेर के मल्लूखान ने जाम्भोजी से निवेदन किया कि जब से वह उनके बताए रास्ते पर चलने लगा है,तब से उसका जीवन और ज्यादा दुखी हो गया है और दूसरी तरफ अच्छे कर्मों की अपेक्षा करने वाले लोग मौज कर रहे हैं। मल्लूखान ने जब कहा कि उसकी जाति के लोग उसका अपमान करते हैं।ऐसी स्थिति में वह उनके बताए रास्ते पर कैसे चले? खान की कठिनाई जान गुरु महाराज ने उसके प्रति यह…

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
” एकळवाई थळ सिर ऊभो,केवळ ग्यांन कथै करतार।सुरग देवंण आयो सुचियार,विसंन जपौ दसवैं अवतार।त्रिषा नींद षुध्या तिस नांहीं,जोवो भगतौ आळीगार।आदि विसंन संभरथळ आयौ,लंक तंणों गढ़ लेवंणहार।-(कान्होजी) भावार्थ स्वम्भू भगवान श्री जम्भेश्वर समराथल पर विराजमान होकर कैवल ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। भगवान विष्णु के दसवें अवतार के रूप में अपने सच्चे भक्तों के उद्धार के लिए भगवान आए हैं। भूख-प्यास रहित उनके चिन्मय गुणों से अलंकृत स्वरूप का भक्तो तुम दर्शन करो।त्रैतायुग में लंका विजय करने वाले राम यही है।…

बिश्नोई धर्म प्रश्नावली
*प्रश्न1.जांभोजी कितने वर्ष तक मौन रहे ?**उत्तर 1:-7 वर्ष तक मौन रहे ।**प्रश्न2. जांभोजी ने कितने वर्ष तक गायों को चराई थी ?**उतर 2:-27 वर्ष**प्रश्न 3:- जांभोजी ने कितने वर्ष तक शब्द सुनाएं ?**उतर 3:- 51 वर्ष तक शब्द सुनाए थे !!**प्रश्न 4.जांभोजी ने किस पंथ की स्थापना की ?**उत्तर 4:- विश्नोई पंथ !!**प्रश्न 5. जांभोजी में पंथ की स्थापना कब की ?**उत्तर 5:- विक्रम संवत 1542ई.में !!**प्रश्न 6:- जांभोजी की माता का नाम बताईये ?**उतर 6:- हंसा देवी**प्रश्न 7:-भगवान…

खिलते पुष्प : कैप्टन दिनेश बिश्नोई
परिचय कैप्टन दिनेश बिश्नोई का जन्म बिकानेर जिले की कोलायत तहसील के छोटे से गांव मानकासर मे श्री भंवरलाल जी भादु व द्रौपदी देवी के घर हुआ। बचपन से ही बेहद चंचल व मैघावी रहे छात्र दिनेश की प्रारंभिक पढाई गांव के ही सरकारी स्कुल मे हुई व उत्कृष्ट परीक्षा परिणामो के साथ बारहवी तक की पढाई पुरी करने के बाद दिनेश भादु ने उदयपुर से इंजीनियरिंग करने के पश्चात उनके मन मे देशभक्ति की भावना जागृत हुई ओर उन्होंने…

खिलते पुष्प : सरिता सहारण
सरिता सहारण शेखपुर दड़ौली फतेहबाद (हरियाणा) निवासी सरिता सहारण सुपुत्री श्री सरजीत सहारण के बी.एस.एफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होने पर Bishnoism – An Eco Dharma पेज के संचालक मंडल की ओर से हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं। परिचय सरिता बिश्नोईं का जन्म फतेहबाद जिले के गांव शेखपुर दड़ौली मे श्री सरजीत सहारण के घर हुआ। बचपन से ही बेहद मेधावी छात्रा सरिता की प्रारंभिक पढाई गांव के ही सरकारी स्कूल मे हुई व उत्कृष्ट परीक्षा…

खिलते पुष्प : अनिल डूडी
अनिल डूडी रावतखेड़ा हिसार (हरियाणा) निवासी अनिल डूडी सुपुत्र श्री दलीप डूडी का केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होने पर Bishnoism – An Eco Dharma पेज के संचालक मंडल की ओर से हार्दिक बधाई एवं उज्जवल भविष्य की अग्रिम शुभकामनाएं। परिचय अनिल डूडी का जन्म हिसार जिले के गाँव रावतखेड़ा मे श्री दलीप डूडी व बिमल देवी के घर हुआ।बचपन से ही बेहद चंचल व मैघावी रहे छात्र अनिल की प्रारंभिक पढाई हिसार के गुरु…

शब्दवाणी
नाते भूला मूल न खोजो ; सीँचो कांय कमूलू ‘ ? विसन विसन भंणि अजर जरीलौ ; औ जीवंण का मूलू ‘ । शब्दार्थ : – हे लोगो ! तुम तो पेड के पतोँ मेँ ही भूले हुए हो , ( उसके ) मूल की खोज नहीँ करते । ( बाह्रा और निस्सार दिखावे मेँ ही भूले-भटक रहे हो , सार वस्तु की ओर तुम्हारा ध्यान ही नहीँ जाता ) । फिर यदि मूल-सिचन की ओर ध्यान भी जाए ,…

साक्षरता का कथा-गीत (दो)
थार धरा में नाम सवाई , परमगुरु जम्भेश्वर का | ‘विष्णु विष्णु तूं भण रे प्राणी, जाप धरा औ अम्बर का || विकट काल जिसमें सत्ता ने, नैतिकता ठुकराई थी | चारों और अधमता नाचे, और नीचता छाई थी || सिंहासन के लिए कलह था, चारों ओर तबाही थी || दो पाटों के बीच मनुजता, पिसती राई राई थी| भूख, अकाल दहकती दुनिया, घड़ी काल की आई थी || काम नहीं था कुछ करने को, नहीं खेत में दाना था|…

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
“रंग मां मांडै राड़ि, कुबधि सदा काया बसै। अंतरि सदा उजाड़, सरम नहीं जां साम्यजी। -(केशोजी) -भावार्थ-‘ किसी अच्छे कार्य में विघ्न-बाधा उपस्थित करना जिनका स्वभाव है। ऐसे लोगों का हृदय निरस होता है अन्तर में सदा कुबुद्धि ही उपजति है। ऐसे लोगों को अपने कृत्यों पर ग्लानि भी नहीं होती।’ 🙏 -(जम्भदास)

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
” कउवो चुगै कपूर, हंस हाल्यो दिन कटै। क्या मन की मरजाद, बात बेहमाता थटै। स्वांनि चढ़ै सुखपाल, गऊसुत गुणि उठावै। करि केहरि कूं कैदि, पिंडत पर भोमि हंढ़ावै। -(केसोजी) -भावार्थ-‘ कौवे को पवित्र-पौष्टिक खाना मिलता है,हंस बड़े अभाव में दिन काटता है।कुत्ता सुखदायक सवारी पर चढ़कर चलता है, गोमाता के कोख से जन्मा भारी बोझा उठाता है।शेर कैदी बन जाता है, विद्वान ब्राह्मण रोजी-रोटी कमाने के लिए परदेश में भटकता है। इसमें किसी का दोष नहीं है यह जीव…



