सुगरा-नुगरा
अनादि काल से गुरु प्रथा चली आ रही है।परंतु हम बहुत ज्यादा परम्परावादी व अंधविश्वासी बन गये है अतः इस प्रथा का दुरुपयोग भी बहुत होता आया है।विभिन्न सम्प्रदायों में गुरु धारण करने की प्रथा है इसमें जनता को इतना भयभीत किया जाता है कि गुरु धारण किये बिना यह मानव जीवन व्यर्थ है।अतः पाखंडी,धुर्त, दंभी,दुराचारी,भोगी मनुष्य भी स्वार्थ सिद्धि के लिए गुरु गद्दी पर बैठ जाते हैं और लोगो को पतन की और ले जाते हैं।वे खुद तो डूबते…
कवि केशो जी देहड़ू
जीवन काल 1500-1580 अनुमानित हैं ये हजूरी कवि थे।इनकी एक मात्र ही साखी मिलती है।राग सुहब में गेय कणा की साखी है।इसे जुमलै की तीसरी साखी के रूप में मान्यता प्राप्त है।आवो मिलो जुमलै जुलो,सिंवरो सिरजणहारसतगुरु सतपंथ चालिया,खरतर खण्डाधारजम्भेश्वर जिभिया जपो,भीतर छोड़ विकारसम्पति सिरजणहार की,विधिसू सुणो विचारअवसर ढील न कीजिये,भले न लाभे वारजमराजा वांसे वहै, तलबी कियो तैयारचहरी वस्तु न चाखिये, उर पर तंज अंहकारबाड़े हूंता बिछड़ा जारी,सतगुरु करसी सारसेरी सिवरण प्राणीया, अंतर बड़ो अधारपर निंदा पापां सीरे, भूल उठावै…
निवण प्रणाम जी👏👏
निवण प्रणाम बिश्नोई समाज की मूल अभिवादन प्रणाली है।प्रतिवचन में “जाम्भोजी नै या गुरु महाराज नै विसन भगवान नै या नारायण नै”कहा जाता है।“नै” का अर्थ ‘को’ है -श्री गुरुजाम्भो जी को विसन को आदि।।निवण प्रणाम में नम्रतायुक्त,पूज्यभाव सर्वोपरि है।इसके अंतर्गत विन्रमता, श्रद्धा, अंहकार शून्यता,स्वयं को छोटा और प्रतिवचन कर्ता को बड़ा समझना,आदर और आत्मैक्य -ये सभी भाव मिले-जुले रूप में प्रकट होते हैं।इसकी पुष्टि प्रतिवचन से होती है जिसका आशय है -ऐसे वचन तो श्री जाम्भोजी, गुरु महाराज और…
Jambhoji Aur Bishnoi Samardaay
Read MoreJambhoji Aur Bishnoi SamardaayReichert Alexis Thesis
Read MoreReichert Alexis ThesisAmar Jyoti July-2021
नवीन अंक जुलाई 2021
संगीतमय शब्दवाणी (1-30) || Sangeetmay shabdvani (शब्दों के साथ)
साखी सम्राट गायक रवि सोढ़ा जैसलां, जिला जोधपुर राजस्थान 7727991652 पूनम सिवर , गांव बांड , जिला बाड़मेर राजस्थान इन शब्दों की dhun रवि सोढ़ा जैसलां ही बनाई थी बीकानेर के स्टूडियो में रिकॉर्डिंग किया था प्रदीप जी गुप्ता का इसमें संगीत दिया हुआ है और प्रदीप जी के स्टूडियो से ही यह रिकॉर्डिंग की थी महावीर जी पत्रकार श्री बालाजी ने हमसे रिकॉर्डिंग करवाई थी
संगीतमय शब्दवाणी (31-60) || Sangeetmay shabdvani (शब्दों के साथ)
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बाल कलाकार रामजीवण सियाक ने पहली बार गया सुतो राणो सुख भर नींद Ramjivan Siyak ramjiwan siy (2)
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