कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव, साधु जो भक्त थारी आरती करे।

कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव, साधु जो भक्त थारी आरती करे।
जम्भ गुरू ध्यावे सो सर्व सिद्धि पावे, सन्तों क्रोड़ जन्म केरा पाप झरे।
हृदय जो हवेली मांही रहो प्रभु रात दिन, मोतियन की प्रभु माला जो गले।
कर में कमण्डल शीश पर टोपी नयना मानों दोय मसाल सी जरे।
कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव…………………।
सोनेरो सिंहासन प्रभु रेशम केरी गदियां, फूलांहांदी सेज प्रभु बैस्यां ही सरै।
प्रेम रा पियाला थानें पावे थारा साधु जन,मुकुट छत्र सिर चंवर डुले। कूं कूं केरा.
शंख जो शहनाई बाजे झींझा करे झननन, भेरी जो नगारा बाजे नोपतां घुरे।
कंचन केरो थाल कपूर केरी बातियां, अगर केरो धूप रवि इन्द्र जो घुरे।।
मजीरा टंकोरा झालर घंटा करे घननन, शब्द सुना सो सारा पातक जरै।
शेष से सेवक थारे शिव से भंडारी ब्रह्मा से खजांची सो जगत घरे।।कूं कूं केराआरती
में आवे आय शीष जो नवावे, निश जागरण सुने जमराज डरे।
साहबराम सुनावे, गावे, नव निधि पावै, सीधो मुक्त सिधावे काल कर्म
जो टरै। कूं कूं केरा चरण पधारो.।

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 794

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *