सबद-41 ओ३म् सुण राजेन्द्र, सुण जोगेन्द्र, सुण शेषिन्द्र, सुण सोफिन्द्र। सुण काफिन्द्र, सुण चाचिन्द्र, सिद्धक साध कहाणी

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

ओ३म् सुण राजेन्द्र, सुण जोगेन्द्र, सुण शेषिन्द्र, सुण सोफिन्द्र। सुण काफिन्द्र, सुण चाचिन्द्र, सिद्धक साध कहाणी।

भावार्थ- हे राजेन्द्र, हे योगीन्द्र, हे शेखेन्द्र, हे सूफीन्द्र, हे काफिरेन्द्र, , हे चिश्ती आप लोग सभी ध्यानपूर्वक सुनों! आप लोग अपने को सिद्ध, साधु, धर्माध्धिकारी कहते हो।अपने शिष्यों को पार उतारने के लिए प्रतिज्ञा करते हो किंतु

झूठी काया उपजत विणसत, जां जां नुगरे थिती न जांणी। 
यह तुम्हारी झूठी मिथ्या काया बार बार पैदा होती है और विनाश को भी प्राप्त होती है। यदि तुम लोग जन्म मरण के चक्कर से छूट नहीं सको तो फिर अपने शिष्यों को कैसे छुड़ा सकोगे। आप लोग स्वयं नुगरे गुरु रहित मनमुखी हो तो इस रहस्य को कैसे जान सकोगे।

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।


Discover more from Bishnoi

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 1197

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *