
डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई
हरियाणे रो सबठो ढहग्यो ठांव रै। जाणे ढहगी आदमपुर री छांव रै। सूनी सूनी लागै मोहम्मद गांव रै। गलियां गलियां गूंजै थारो नांव रै। छतीस कौमां रो जाणे टूटग्या पांव रै। भजन लाल ऊची घणी ही सांव रे॥1॥ आदमपुरिया कैवतां सुणावै रै। जूनी जूनी बातां याद करावै रै। पंथ जाम्भाणी विहकती जावै रै। नियम धरम अब कुण बतावै रै। आंख्यां मांय आंसूड़ा नीं मावै रै। भजनलाल घणो याद आवै रै॥2॥ सूत्योड़ा समाज नै। जगावंतो रै। सगळा नै सदा समझावतो प्रै ।
हजार इग्यारी रै।
भजनलाल भजनलाल भजनलाल रै॥6 ॥
बी-111, समतानगर, बीकानेर (राज.)






